भारत के बिल्कुल मध्य के आसपास कहीं, सर्दियों की एक सुबह, कोहरे में धूप इस तरह छितरा रही है कि चमकदार धुंध में * बदल गई है, जो वक्त की चाल को रोकती मालूम देती है. पक्षियों की चहचहाहट मृदु, सुरीली और ज्यादातर सौहार्दपूर्ण है. पुआल के रंग की ऊंची घास में कहीं सुगठित, मुरझाए बादामी चेहरे पर ऊंची जड़ी एक जोड़ी पुखराज आंखें भीतर की ज्योति से प्रज्ज्वलित हैं. चेहरे से नीचे की तरफ जाती आंसुओं की बूंद सरीखी दो गाढ़ी धारियां न चिमटे के एक जोड़े की तरह उन्हें थामे हैं. वे उस भूदृश्य को बारीकी से ताक रही हैं जो 72,000 साल पहले से पिछली सदी की शुरुआत तक कहीं भी स्थित हो सकता है. दूर क्षितिज पर अपनी नजर के 210 डिग्री कोण के भीतर कहीं उसे कुछ हलचल नजर आती है. शायद कोई मादा चीतल है, पांच किलोमीटर दूर. इतनी दूरी पर भी उसकी लेजर की तरह तीखी आंखें जादुई चित्रात्मक समानता को ताड़ सकती हैं- और यह समानता है हिरण की देह पर फैले धब्बे, ठीक उसके अपने धब्बों की तरह. फिर वह खेल शुरू होता है जिसका वास्ता जिंदगी के इतिहास में चलचित्र के सबसे रोमांचकारी नजारे से हो सकता है. वह दुबककर बैठी देह सरपट ऐसा फर्राटा भरती है कि बीच की मीलों लंबी दूरी आहिस्ते से निगल लेती है, और फिर.. आखिर में... गजब की पूरी रफ्तार, बलखाती अविश्वसनीय ताकत, कुछ मौकों पर चारों पंजों के जमीन छूते वक्त आगे और पीछे लहराती कंधे की हड्डी के साथ यह आलीशान जंगली जानवर तकरीबन पूरी तरह हवा में है और इसी तरह अपने और शिकार के बीच बचे घास के मैदान का आखिरी टुकड़ा 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पलक झपकते तय करता है. जमीन पर पाया जाने वाला एक ही जानवर इस नजारे को अंजाम दे सकता है और वह है-चीता.
Diese Geschichte stammt aus der September 28, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
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दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"