बिहार के पूर्व आइपीएस अफसर अमिताभ दास ने 10 सितंबर को पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखा. उन्होंने लिखा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सीमांचल में होने वाली रैली का मकसद ठीक नहीं है. उन्होंने लिखा कि वे सीमांचल के किशनगंज जिले के एसपी रह चुके हैं, इस लिहाज से उन्हें लगता है कि रैली के जरिये शाह और बिहार भाजपा ने 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए इस इलाके में दंगा फैलाने की खूनी योजना बनाई है. उनके मुताबिक, शाह और पार्टी का मकसद महंगाई और बेरोजगारी से जनता का ध्यान हटाना है. उन्होंने पुलिस को अलर्ट रहने का सुझाव दिया है. इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में ऐसी चर्चा खूब चल रही है कि केंद्र सरकार सीमांचल और पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों को जोड़कर एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने की तैयारी कर रही है. शाह सीमांचल में 23-24 सितंबर को होने वाली अपनी रैली में इस बात की घोषणा कर सकते हैं.
दास का बयान एकदम सियासी है और वे अक्सर ऐसे अतिरेक भरे बयान जारी करते हैं. दरअसल, सीमांचल को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की चर्चा पश्चिम बंगाल से निकली है, जहां के भाजपा नेता अक्सर ऐसी मांग करते रहते हैं. पिछले दिनों केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निशीथ प्रमाणिक की मौजूदगी में भी पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में एक भाजपा नेता ने यह मांग उठाई. निशीथ ने ताली बजाकर मांग का स्वागत भी किया. इसी को आधार बनाकर लोग इस तरह की चर्चा कर रहे हैं. मगर बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल और वरिष्ठ भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने इस तरह के कयासों को साफ खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है.
अमित शाह का सीमांचल दौरा अहम है क्योंकि वे महागठबंधन सरकार बनने के बाद पहली बार बिहार आ रहे हैं. सीमांचल में ध्रुवीकरण से जुड़े बयानों का असर राज्य के अन्य जिलों के साथ उत्तरी बंगाल में भी होता है
Diese Geschichte stammt aus der September 28, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September 28, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"