इतिहास के प्रोफेसर रहे डॉ. सुरेश मिश्र उस समय 84 साल के थे, जब हमने उनके साथ मध्य प्रदेश के उपेक्षित ऐतिहासिक स्थानों की नियमित हेरिटेज वॉक की योजना बनाई कॉलेज से रिटायरमेंट के बाद वे हर साल इतिहास पर एक किताब लिखते थे या ब्रिटिश काल के दस्तावेजों का अनुवाद किया करते थे. हमने पहले रूट में इतिहास में समृद्ध बुंदेलखंड के गढ़कुंडार, गढ़ाकोटा, अजयगढ़, राहतगढ़ जैसे स्थान चुने और इसे 'इतिहास के एक जानकार और एक जिज्ञासु की जुगलबंदी' कहा. तय हुआ कि हम इन स्थानों पर जाएंगे, वहीं रुकेंगे, लोगों से बात करेंगे, दस्तावेजों में दर्ज विवरण खंगालेंगे और लौटकर हेरिटेज वॉक के अनुभवों को किताब की शक्ल देंगे. मकसद यह जानने का था कि सदियों पुरानी यह महान विरासत किस हाल में हैं, जन समाज में इन्हें लेकर क्या कहानियां प्रचलित हैं और असल में इनका कितना इतिहास समकालीन दस्तावेजों में है. सब जानते हैं कि यह एक हाशिए का विषय है, जिस पर सदनों में कभी बहस नहीं होती, चुने हुए प्रतिनिधि कभी सवाल नहीं करते, मीडिया के लिए यह खबरों के लिहाज से उबाऊ विषय है.
2020 में कोरोना की दस्तक के पहले हम कूच करने की तैयारी कर चुके थे, लेकिन पहले लॉकडाउन ने हमारे इरादों पर पानी फेर दिया. पूरा साल कोरोना लील गया. पर 2021 की जनवरी तक घर में बंद रहे डॉ. मिश्र का सब्र जवाब दे गया. एक दिन बोले, "एक जनवरी से हम अपनी जुगलबंदी शुरू करते हैं."
हमारा पहला पड़ाव था उदयपुर. नहीं, राजस्थान का जगप्रसिद्ध और भाग्यशाली उदयपुर बिल्कुल नहीं, मध्य प्रदेश का उपेक्षित और बदकिस्मत उदयपुर, जो राजस्थान से ज्यादा पुराने इतिहास की कहानियां अपने भीतर समोए और संजोए है. भोपाल से 150 किलोमीटर दूर 8,000 की आबादी वाला, विदिशा जिले का एक उदास कस्बा. मौर्य सम्राट अशोक से लेकर परमार राजा भोज के वंशजों तक यह इलाका इतिहास की कहानियों और स्मारकों से सदियों तक मालामाल रहा है. इन महान राजवंशों ने यहां के चप्पे-चप्पे में अनगिनत स्तूप, शानदार मंदिर, विशाल तालाब, भव्य बावड़ियां, लंबे घाट और चारों तरफ सुरक्षा दीवारों से घिरे व्यवस्थित शहर बसाए थे. पर मध्यकाल के इतिहास के अंधड़ों में ज्यादातर बरबाद हो गए. उन पर कब्जे हुए. वे नई शक्लों में उभरे. पुरानी कहानियां विस्मृत हो गईं.
Diese Geschichte stammt aus der October 19, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der October 19, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.