सर जॉन पेंडर ने ब्रिटेन से भारत तक समुद्र के नीचे तार बिछाने के लिए 1869 में ब्रिटिश इंडियन सबमरीन टेलीग्राफ कंपनी की स्थापना की थी. जब अंग्रेज लेखक जॉन रस्किन को इस उद्यम के बारे में बताया गया, तो उन्होंने कुछ मजाक और कुछ गंभीरता से पूछा, "मुझे हैरानी है कि संदेश क्या भेजेंगे. " डेढ़ सदी बाद भारतीय मूल का एक सजा-धजा और चतुरसुजान शख्स अपने आप में ताकतवर संदेश बनकर उभरा है, वह भी उस देश के लिए जो आर्थिक संकट और राजनैतिक अस्थिरता में फंसकर खुद अपने आप में मजाक बन गया है. पूर्व हेजफंड मैनेजर ऋषि सुनक 200 साल में ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने हैं. वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले अश्वेत व्यक्ति और पहले धर्मपरायण हिंदू हैं.
उस साम्राज्य की रोशनी तो काफी पहले बुझ गई थी, जहां सूरज कभी डूबता नहीं था. साम्राज्य ने धूमधाम से पलट हमला किया, तो इस साल दीवाली के दिन वेस्टमिंस्टर विविधता के जलसे की रोशनी में ं डूब गया. यहां तक कि लेबर पार्टी के नेता पॉल बोआटेंग भी अपना उल्लास बमुश्किल ही छिपा सके, "ब्रिटेन ने दुनिया को दिखा दिया कि आप सच्चा बहुनस्लीय लोकतंत्र हो सकते हैं और मैं पूरी जिंदगी इसी के लिए लड़ा हूं." सुनक के लिए यह शिखर की हैरतअंगेज दौड़ रही. 5 जुलाई को स्कैंडलों से दागदार बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले वे पहले मंत्री थे. यह बोजो सरकार के अंत की शुरुआत थी. जल्द ही वे कंजर्वेटिव पार्टी के ज्यादातर सदस्यों का समर्थन हासिल करके प्रधानमंत्री पद की दौड़ के दो में से एक उम्मीदवार बन गए. बाद में वे दिलेर और मुखर स्कूल शिक्षिका से राजनेता बनीं अपनी पार्टी की साथी और फॉरेन सेक्रेटरी लिज ट्रस के मुकाबले टोरी सदस्यों का दिल जीतने में नाकाम रहे. ट्रस सरकार महज 49 दिन चली, जो अपने आप में शर्मसार करने वाला रिकॉर्ड है, और आधे से ज्यादा टोरी सांसदों का समर्थन हासिल करके सुनक प्रधानमंत्री चुने गए.
Diese Geschichte stammt aus der November 09, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
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