गंगा कुमारी वर्ष 2012 की राजस्थान पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल सवा लाख अभ्यर्थियों में से एक थीं. 2013 में लिखित परीक्षा हुई और 2014 में रिजल्ट आ गया. गंगा कुमारी भी 11 हजार 400 सफल अभ्यर्थियों में शामिल थीं. जिले में चयनित 60 अभ्यर्थी ऐसे थे जिनकी रैंक गंगा कुमारी से नीचे थी, बावजूद इसके, मेडिकल के वक्त गंगा को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया. जिले के अफसरों का उनसे कहना था कि वे महिला और पुरुष दोनों श्रेणी में ही शामिल नहीं हैं, इसलिए उनको नियुक्ति नहीं मिल सकती. कई साल से पुलिस सेवा के लिए तैयारी कर रहीं गंगा कुमारी के लिए यह एक बड़ा झटका था.
तब तक देश में ऐसा कोई कानून नहीं था जो ट्रांसजेंडर्स को तीसरे लिंग की तरह मान्यता प्रदान करता हो. गंगा ने अपना सपना साकार करने के लिए दो साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर खंडपीठ से नवंबर 2017 में गंगा को जीत हासिल हुई. हाई कोर्ट के फैसले के बाद 14 नवंबर, 2017 को गंगा को पुलिस की नौकरी मिल गई. अगर समय पर सिस्टम का साथ मिलता और रिजल्ट आते ही गंगा को नियुक्ति मिल जाती तो वे पुलिस फोर्स में भर्ती होने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर होतीं. जिस समय गंगा कानूनी लड़ाई लड़ रही थीं उसी वक्त चेन्नै की ट्रांसजेंडर पृथिका यशिनी पुलिस की पहली सब इंस्पेक्टर बन चुकी थीं. यशिनी को भी कोर्ट के आदेशों के बाद ही नियुक्ति मिली. इसके तुरंत बाद तमिलनाडु के मदुरै की रहने वाली आर नसरिया ने पुलिस फोर्स ज्वाइन की. गंगा कुमारी राजस्थान की पहली और देश की तीसरी ट्रांसजेंडर बनीं जो पुलिस फोर्स में भर्ती हुईं.
गंगा ने सात साल पहले राजस्थान में ट्रांसजेंडर्स की पहचान के लिए जो लड़ाई शुरू की थी, वह आज अपना रंग दिखा रही है. राजस्थान सरकार ने ट्रांसजेंडर्स को न केवल तीसरे लिंग के तौर पर मान्यता दी है बल्कि अब उन्हें लिंग बदलाव के लिए भी मदद देने का फैसला किया है. गंगा जैसे ट्रांसजेंडर अब जिस लिंग के साथ रहना चाहते हैं, उन्हें उसकी सर्जरी के लिए सरकार ढाई लाख रुपए तक की मदद देगी. इस राशि की मदद से ट्रांसजेंडर्स सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (एसआरएस) करवा सकेंगे.
Diese Geschichte stammt aus der November 09, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
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