● पिछले दिनों आपने एक इंटरव्यू में कहा कि नेहरू जी, इंदिरा जी या राजीव जी लोगों से मिलते खूब थे. उनकी उपलब्धता रहती थी. नई पीढ़ी में राहुल और प्रियंका गांधी को इसके बारे में सोचना चाहिए. इस पर काफी विवाद हुआ. अब क्या कहेंगी?
जिन्होंने वह इंटरव्यू लिया, उनका क्या उद्देश्य था मुझे पता नहीं. लेकिन जब गांधी-नेहरू परिवार की बात चली तो मैंने वे बातें कहीं. जैसे जब वीरभद्र सिंह जी सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ते थे, पंडित नेहरू ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया. लेकिन वे सिनेमा देखने गए थे. काफी खोजने के बाद वे मिले. उनसे कहा गया कि आपको प्रधानमंत्री ने बुलाया है. वे सहमे हुए से पंडित जी से मिलने पहुंचे. पंडित जी ने पूछा कि कॉलेज के बाद क्या करना चाह रहे हैं? उन्होंने कहा कि लॉ करके प्रोफेसर बनूंगा. नेहरू जी ने कहा कि क्या तुम्हारे बाप-दादा में से किसी ने नौकरी की है? वीरभद्र जी ने जवाब नहीं दिया. नेहरू जी ने कहा कि आपके पूर्वजों ने भी रियासत के मुखिया के तौर पर लोगों की सेवा की है. अब वक्त बदल गया है. तुम्हें भी राजनीति में उतरना चाहिए. नेहरू जी ने उनके सामने माहसू (वर्तमान में मंडी) से लोकसभा का चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा. साथ ही हिदायत दी कि यह बात किसी को न बताएं.
इस बात को साल भर बीत गया. वीरभद्र जी अपने घर पर कांग्रेस की एक मीटिंग ले रहे थे. मुख्यमंत्री यशवंत परमार भी थे. शाम को प्रादेशिक समाचार आने थे. रेडियो मंगवाया गया. समाचारों में हिमाचल की चार लोकसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा हुई. इसमें वीरभद्र जी का भी नाम था. परमार साहेब ने चुटकी ली, 'तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.' उन्होंने जवाब दिया, 'मुझे ऊपर से आदेश थे. मैंने परिवार को भी नहीं बताया.'
Diese Geschichte stammt aus der November 23, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
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