अपने जैसे कई दूसरे लोगों की तरह कमल किशोर शारदा के दादा करीब 100 साल पहले राजस्थान के नागौर से आज के छत्तीसगढ़ अ में राजनांदगांव आए. घर के कंफर्ट जोन से बाहर किस्मत तलाशने के इरादे से की गई यह यात्रा शारदा परिवार के लिए फलदायी रही.
कमल शारदा ने अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से गोल्ड मेडल हासिल करते हुए पूरी की. इस इंस्टीट्यूट को पहले विश्वेश्वरैया रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता था. फिर करियर की शुरुआत नागपुर में पारिवारिक मिल्कियत वाली एक में रोलिंग मिल में काम से हुई.
बड़ा अवसर उन्हें 1978 में हाथ लगा. रायपुर से कोई 25 किमी दूर भानपुरी स्थित इस्पात संयंत्र रायपुर एलॉय ऐंड स्टील लिमिटेड को उसके मालिक मिस्टर तेजपाल ने कमल शारदा को देने की पेशकश की. तेजपाल उनके लिए हमेशा पितातुल्य थे. उनके खुद के बच्चे अमेरिका जाकर बस गए थे, इसीलिए तेजपाल यह फैक्ट्री शारदा को देने के लिए प्रेरित हुए. शारदा ने 350 कर्मचारियों के साथ इसका अधिग्रहण कर लिया.
Diese Geschichte stammt aus der November 30, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
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