उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 7 दिसंबर को सदन को अपने पहले ही संबोधन में सुप्रीम कोर्ट पर तीखा हमला बोल दिया. वे दरअसल शीर्ष अदालत के उस फैसले की आलोचना कर रहे थे जिसमें उसने 2014 के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद्द कर दिया था. संसद के दोनों सदनों से सर्वसम्मति से पारित एनजेएसी कानून में न्यायिक नियुक्तियों की कॉलेजियम व्यवस्था को उलटने की कोशिश की गई थी. इसे 'संसदीय संप्रभुता के साथ गंभीर समझौते' की मिसाल बताते हुए धनखड़ ने कहा कि “लोकतांत्रिक इतिहास में इस घटना जैसा कोई उदाहरण नहीं है जिसमें समुचित रूप से वैध संवैधानिक उपाय को न्यायिक रूप से खारिज कर दिया गया हो."
इसी के साथ वे ऊंची अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच चल रही बहस में शामिल होने वाले ताजातरीन शख्स बन गए. उपराष्ट्रपति ने लगभग वही दोहराया जो केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था. उन्होंने कॉलेजियम व्यवस्था पर कई बार सवाल खड़े करते हुए कहा था कि “भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी जजों की नियुक्ति जज नहीं करते."
बीते दो महीनों में रिजिजू ने कॉलेजियम व्यवस्था को 'अपारदर्शी' और 'गैर-जवाबदेह' करार दिया और यहां तक कहा कि न्याय देने के अपने सबसे अहम काम की अनदेखी करके 'जज अक्सर यह तय करने में व्यस्त रहते हैं कि अगला जज कौन होगा." उन्होंने दावा किया कि जजों की नियुक्ति करना सरकार की जिम्मेदारी है और बेहतर विकल्प दिए बिना एनजेएसी को रद्द करने के लिए उन्होंने शीर्ष अदालत की आलोचना की. जैसी कि उम्मीद थी, न्यायपालिका कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर बचाव की मुद्रा में है. अप्रैल में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) न्यायमूर्ति एन.वी. रमण ने कहा था, "भारत में धारणा है कि जज ही जजों की नियुक्ति करते हैं. यह गलत धारणा है... नियुक्ति सलाह-मशविरे की लंबी प्रक्रिया के जरिए और सभी पक्षों से मशविरे के बाद की जाती है. मुझे नहीं लगता कि यह प्रक्रिया इससे ज्यादा लोकतांत्रिक हो सकती है." सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने रुख नरम किया और कहा कि कॉलेजियम प्रणाली के बारे में चिंताओं का हल निकाला जाना चाहिए.
Diese Geschichte stammt aus der December 21, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der December 21, 2022-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.