प्रमुख स्वास्थ्य और जनसांख्यिकी संकेतकों में सुधारः जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 1947 में 32 वर्ष से बढ़कर अब 70.4 वर्ष हो गई है. फिसड्डी राज्य अगर सुधार लाएं तो भारत और बेहतर कर सकता है. मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 1947 में प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 2,000 थी. अब यह 97 है, जो 158 के वैश्विक औसत से बेहतर है. 2005 से भारत ने एमएमआर में 77 फीसद की गिरावट हासिल की, जो विश्व स्तर पर 43 फीसद से ज्यादा तेज गिरावट है. शिशु मृत्यु दर (आइएमआर) प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 28 है, जो 1947 में 145 थी. बेलगाम जनसंख्या वृद्धि की आशंकाओं को धता बताते सामान्य प्रजनन दर (जीएफआर) बीते दशक के दौरान 20 फीसद तक कम हो गई और कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.0 पर पहुंच गई. जन्म के समय पुरुष और महिला लैंगिक अनुपात में सुधार की उम्मीद तब दिखाई दी जब यह अनुपात प्रति 100 लड़कियों पर 111 लड़कों से घटकर 108 लड़के हो गया (2010-11).
• बीमारियों का उन्मूलनः सालों चेचक के सबसे ज्यादा मामले झेलने के बाद भारत ने 1979 में खुद को इस भयावह बीमारी में से मुक्त घोषित किया. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया. कई राज्यों को तंग करने वाले गिनी कृमि रोग को 2000 में जड़ से उखाड़ फेंका गया. भारत पहला देश था जिसे आधिकारिक रूप से यॉज-मुक्त माना गया. भारत ने अपना मातृ और नवजात टिटेनस उन्मूलन (एमएनटीई) लक्ष्य, वैश्विक लक्ष्य की तारीख से पहले, अप्रैल 2015 में हासिल कर लिया था.
Diese Geschichte stammt aus der January 04, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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