हॉकी का स्वर्ण
लंदन ओलंपिक, 1948
आजादी को साल भर ही हुआ था कि भारत को नए युग में स्टिक की अपनी पारंपरिक जादूगरी परखने का मौका मिला... और यह देखने का भी अवसर कि बंटवारे के बाद कहीं उसको जंग तो नहीं लग गई है. उस ताकत के दो टुकड़ों में बंटने के बाद भी दोनों हिस्से अपने-अपने दम पर इतने ताकतवर थे कि फाइनल में भारत और पाकिस्तान के मुकाबले की उम्मीद थी. मगर ग्रेट ब्रिटेन ने सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हरा दिया और फाइनल में भारत का मुकाबला अपने पूर्व औपनिवेशक हुक्मरानों से हुआ. लिहाजा अपना सुपरपावर दर्जा दिखाने का यह मौका दोगुना हसीन था. उम्र के चौथे दशक में चल रहे हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने नवंबर 1947 में पूर्व अफ्रीका में 22 मैचों में 61 गोल दागने के बावजूद गंभीर हॉकी से उसी वक्त छुट्टी ली थी. मगर एक और महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर के दिलकश हुनर और रफ्तार की बदौलत भारत ने ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से धूल चटाकर आजादी के बाद अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण जीता.
मिल्खा सिंह
रोम ओलंपिक 1960
मिल्खा सिंह की विरासत उनके दमखम से रौशन राहों से भी आगे जाती है. 1947 के दंगों में उजड़े-बिछड़े 'फ्लाइंग सिख' ने तमाम मुश्किलों को जीतते हुए भविष्य गढ़ा. मिल्खा ने 1951 में सेना में शामिल होने के बाद दौड़ना शुरू किया और कुछ सालों में दुनिया के 400 मी के शीर्ष धावकों में से एक बन गए. 1960 के रोम ओलंपिक में उनकी कामयाबी भारतीय ट्रैक एथलीट की महानतम कामयाबियों में से एक है. उन्होंने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की, जो 38 साल तक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना रहा. मामूली फर्क से चौथे स्थान पर आकर वे तकनीकी तौर पर तो हारे लेकिन वहां तक पहुंचने की उनकी राह वस्तुतः तपते गोलों से अटी थी.
वनडे क्रिकेट विश्व कप
1983
Diese Geschichte stammt aus der January 04, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January 04, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.