एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी
(1916-2004)
गरीब देवदासी परंपरा से ताल्लुक रखने वालीं एम.एस. की भावपूर्ण और दैवी आवाज पहेली जैसी है. उन्होंने कर्नाटक संगीत को ऐसी आवाज दी, जो पहले नहीं सुनी गई। और उसे विश्व संगीत मंच पर स्थापित कर दिया. वे संयुक्त राष्ट्र में गाने वाली पहली भारतीय संगीतकार और भारत रत्न से सम्मानित होने वाली भी पहली महिला संगीतकार थीं. एम. एस. आध्यात्मिक मंत्रों और कर्नाटक कृतियों के गायन से घर-घर में पहचानी गईं.
पंडित रविशंकर
(1920-2012)
समूचे भारत में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाने और फिर उसे दुनिया के बाकी हिस्सों में ले जाने वाले पंडित रविशंकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी और किसी पहेली की तरह हैं. भारतीय संगीत की उनकी नई व्याख्या आज भी मंचीय संगीतकारों के लिए मंत्र बनी हुई है. भारतीय और पश्चिमी वाद्ययंत्रों और कलाकारों के साथ युगलबंदी, आर्केस्ट्रा रचनाएं, मूल रागों की रचना और सबसे बढ़कर, बड़े पैमाने पर संगीत शिक्षा में उनका योगदान बेजोड़ है. आज उनके शिष्य पूरी दुनिया में हैं, भारतीय संगीत को और आगे ले जा रहे हैं और उनकी बेजोड़ विरासत को करीने से संभाले हुए हैं.
पंडित मलिकार्जुन मंसूर
(1910-1992)
एकदम जमीन के आदमी मंसूरजी दुर्लभ रागों और बंदिशों को अपनी सरल पर विचारोत्तोजक प्रस्तुति, विस्तार और व्याख्या के साथ संगीत मंच पर ले आए. मंसूरजी के अनुयायी अनेक थे और उन्हें हिंदुस्तानी संगीत गायिकी के एक सच्चे साधक के रूप में पूजा जाता था. वे जयपुर-अतरौली घराने के सच्चे प्रतिनिधि थे.
बेगम अख्तर
(1914-1974)
अपने सुर में उदासी का स्पर्श लिए महान गायिका गजल और ठुमरी गायन की सर्वोच्च शख्सियत बनी हुई हैं. उनके सुर मानो सीधे दिल से निकलते थे, जिनमें उनके जीवन के अनुभव गुंथे हुए थे. उनकी आवाज निराली और अमर है. बेगम अख्तर ने गजल गायन की एक अलग शैली विकसित की. उनमें बोल एकदम शुद्ध और साफ होते थे. उनकी शैली आज के गायकों के लिए पथ-प्रदर्शक बनी हुई है.
Diese Geschichte stammt aus der January 04, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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हिंदुस्तानी सिनेमा की एक नई रौशनी
फिल्मकार पायल कपाडिया इन दिनों एक अलग ही रंगत में हैं. वजह है उनकी फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट और उन्हें मिल रही विश्व प्रसिद्धि. उनका सफर एक बड़े सिनेमाई मुकाम पर जा पहुंचा है. अब यहां से इस जुनूनी आर्टिस्ट का करियर एक नई उड़ान लेने को तैयार
रतन टाटा जिन्हें आप नहीं जानते
पिछले महीने 86 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुए रतन टाटा. भारत की सबसे पुरानी विशाल कंपनी के चेहरे रतन को हम में से ज्यादातर लोगों ने जब भी याद किया, वे एक सुविख्यात सार्वजनिक शख्सियत और दूसरी ओर एक रहस्यमय पहेली के रूप में नजर आए.
विदेशी निवेश का बढ़ता क्लेश
अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
अब शासन का माझी मंत्र
मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.