वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद के दशक में विश्व व्यवस्था धीरे-धीरे बदलाव के दौर से गुजर रही है. भारत और जापान जैसी उभरती शक्तियों ने संयुक्त राष्ट्र सहित दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अपना पूरा हिस्सा मांगना शुरू कर दिया है. हालांकि यह प्रक्रिया दो बड़े घटनाक्रमों से बुरी तरह से बाधित भी हुई – पहली कोविड महामारी और दूसरी फरवरी 2022 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यूक्रेन पर आक्रमण कर एकतरफा रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को बदलने का प्रयास. 4 फरवरी को अपने सहयोगी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शिखर सम्मेलन के बाद पुतिन का हौसला बढ़ा. चीन से मौन समर्थन का आश्वासन मिलने पर रूस ने अपनी सेना को चीन की सीमा से हटाकर यूक्रेनी मोर्चे पर तैनात कर दिया.
पुतिन और शी दोनों एक नई विश्व व्यवस्था के उदय को देखने के इच्छुक हैं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने शी जिनपिंग के हवाले से कहा कि "चीन और रूस रणनीतिक सहयोग मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं." उन्होंने कहा कि यह "एक रणनीतिक निर्णय है जिसके परिणाम चीन, रूस और दुनिया के लिए दूरगामी होंगे, और वे इस निर्णय से पीछे नहीं हटेंगे."
Diese Geschichte stammt aus der January 25, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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अब आई मगरमच्छों की बारी
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"