पचहत्तर साल पहले मिली आजादी के बाद भारत आज भू-राजनैतिक दृष्टि से अब तक की सबसे सुखद स्थिति में है. यह स्थिति है क्या ? यह भारत के लिए खुद को दुनिया की इकलौती स्वतंत्र महाशक्ति के तौर पर पेश करने का मौका है.
यह स्थिति कैसे बनी है ? इसका सरल जवाब यह है कि दुनिया आज मानव इतिहास के सबसे बड़े भू-राजनैतिक बदलाव के मुहाने पर है. हम एकध्रुवीय विश्व-व्यवस्था से एक बहुध्रुवीय, बहु-सभ्यता वाली व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं. भू-राजनैतिक बदलाव नए अवसर लाया है, लेकिन इसके अपने खतरे भी हैं.
बेशक, यह भारी व्यवस्थागत बदलाव चीन के दोबारा उभार की वजह से हुआ है. यह बदलाव काफी स्वाभाविक है. वर्ष 1 से लेकर 1820 तक चीन और भारत दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं रही हैं. अब आखिर पिछले 200 साल के पश्चिमी दबदबे के अपवाद का अंत हो रहा है. चीन, भारत और अधिकांश एशिया की इस परिदृश्य में वापसी पश्चिमी विचारों और पद्यतियों की वजह से हुई है, पश्चिम को इसका स्वागत करना चाहिए. हालांकि पश्चिम इसे सिद्धांत के रूप में स्वीकार करता है मगर व्यवहार में नहीं.
मानव इतिहास की दूसरी महाशक्तियों की तरह ही अमेरिका भी दुनिया में अपनी नंबर एक की हैसियत बरकरार रखने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है. अलबत्ता अमेरिका इनकार करता है कि उसने चीन के खिलाफ 'अंकुश लगाने ' की नीति का दबाव बढ़ा दिया है, लेकिन फाइनेंशियल टाइम्स के एडवर्ड लुके और यूरेशिया ग्रुप के इयान ब्रेमर जैसे अनुभवी और प्रतिष्ठित पश्चिमी जानकारों ने पुष्टि की है कि 'अंकुश लगाया जाना' शुरू हो चुका है. तत्कालीन सोवियत संघ (यूएसएसआर) के खिलाफ प्रथम शीत युद्ध में भारत ने खुद को 'गलत पक्ष' में पाया और उसकी कीमत चुकाई. आज कुछ भारतीय जानकारों का मानना है कि भारत अब 'सही पक्ष' के साथ है. इसलिए, रणनीतिक सोच-समझ वाली भारतीय बिरादरी में एक मजबूत और ताकतवर तबका तैयार हुआ है, जो यह तर्क दे रहा है कि भारत को अमेरिका के साथ खड़ा होना चाहिए और ब्रिक्स के बजाय क्वाड को भारतीय विदेश नीति का मुख्य स्तंभ बनाना चाहिए.
Diese Geschichte stammt aus der January 25, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January 25, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है