बीते कुछ सालों में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से चलने वाली क्रिप्टोकरेंसियों ने जबरदस्त उत्साह जगाया. निवेशक और कंपनियां ऐसे भविष्य का सपना देखने लगीं जिसमें ये डिजिटल मुद्राएं नई विकेंद्रीकृत और झट-पट लेनदेन के मामलों को बढ़ावा देंगी. फिर भी एक ओर जहां 2022 सभी परिसंपत्ति वर्ग या ऐसेट क्लास के लिए मुश्किल साल था, वहीं वह क्रिप्टो करेंसियों के लिए इससे भी ज्यादा बुरा साबित हुआ.
सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्य नवंबर 2021 में करीब 30 खरब डॉलर के शिखर से गिरकर आज 800 अरब डॉलर हो गया है, जिसका मतलब है कि निवेशकों की संपत्ति को 20 खरब डॉलर से ज्यादा का नुक्सान हुआ है. ऐसा लगता है कि इसके पीछे दूसरी वजहों के अलावा धोखाधड़ी वाले व्यवहार - जो कुछ हद तक गवर्नेस, निवेशकों की सूझबूझ, और इस क्षेत्र में नियमों की कमी वजह से - खुदरा और संस्थागत निवेशकों को समान रूप से चोट पहुंचाते हैं. क्रिप्टोकरेंसी के मामले में उल्लेखनीय घटनाओं में शामिल हैं:
• 8 अरब डॉलर का एफटीएक्स घोटाला, जो अमेरिकी फेडरल अभियोजकों के मुताबिक, कथित आपराधिक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का नतीजा था;
• टेरा का पतन, जो इस मुद्रा की एल्गोरिद्म प्रकृति के आसपास सार्वजनिक रूप से बताए गए जोखिमों की अनदेखी की वजह से हुआ. इससे लगभग 50 अरब डॉलर के बाजार मूल्यवाली क्रिप्टोकरेंसी का सफाया हो गया;
• क्रिप्टोकरेंसी के संस्थापकों और निवेशकों के बीच कथित सांठगांठ, जिसके चलते चुनिंदा कॉइन के मूल्य निर्धारण को कृत्रिम रूप से बनाए रखा गया.
लगभग सभी मामलों में आमतौर पर या तो किसी व्यक्ति का हित या लालच था जिसने पूरी व्यवस्था को खत्म कर दिया या नियंत्रण और संतुलन की पूरी कमी के साथ बेहद खराब गवनेंस था. क्रिप्टो को लगे इन प्रमुख झटकों के बावजूद, सच यह है कि इसमें अंतर्निहित तकनीक – ब्लॉकचेन - हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. लोग अक्सर ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी को एक ही मान लेते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. पिछले कुछ सालों में ब्लॉकचेन को काफी प्रचारित किया गया और यह दुरुपयोग का भी शिकार हुआ है. इसने इसकी असली क्षमता और सीमाओं की पूरी समझ को बाधित कर दिया है.
ब्लॉकचेन तकनीक को कुछ सामान्य सवालों के जरिए समझते हैं:
Diese Geschichte stammt aus der January 25, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January 25, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
तकनीक के नए क्रांतिदूत
भारत धीरे-धीरे ही सही लेकिन दुनिया के लिए डिजिटल फैक्टरी की अपनी भूमिका से बाहर निकल रहा है.
ऐसे तो न चल पाएगा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने हाल ही एक ऑनलाइन बैठक के दौरान पार्टी की बंगाल इकाई के नेताओं को आगाह किया कि वे उनकी (बंसल की) कुख्यात छवि को ध्यान में रखें.
बादल के संकट
खिरकार, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) आ के प्रमुख सुखबीर बादल को इस्तीफा देना ही पड़ा. करीब 16 साल तक बतौर अध्यक्ष पार्टी की कमान संभाले रहे पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री को पार्टी के भीतर गुटबाजी और सिख धर्मगुरुओं के बढ़ते दबाव के कारण पद छोड़ना पड़ा.
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती