आप जैसे ही पंजाब के सबसे बड़े शहर लुधियाना से बाहर निकलकर राष्ट्रीय राजमार्ग 5 पर चलना शुरू करेंगे, आपके साथ-साथ चलते रहेंगे गेहूं के हरे-भरे खेत, जो इन सर्दियों में कोहरे की मोटी चादर से ढके हैं. रास्तेभर बीच-बीच में आपको सड़क के किनारे गन्ने की पेराई के लिए लगे कोल्हू और उस रस से गुड़ बनाने के लिए लगाई गई अस्थाई भट्टियां नजर आएंगी. गन्ने के उबलते रस की मीठी सुगंध ललचाती रहेगी. पाकिस्तान से लगे सीमावर्ती जिले फिरोजपुर के छोटे से कस्बे तलवंडी भाई के बाइपास से गुजरते हुए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सवार ग्रामीणों का झुंड भी साथ जुड़ जाता है. जल्द ही उनकी संख्या बढ़ जाती है. सभी करीब 10 किलोमीटर दूर मंसूरवाल गांव की ओर चले जा रहे हैं. मंसूरवाल में छह महीने से आंदोलन कर रहे लोगों को तब जीत हासिल हुई जब आम आदमी पार्टी की सरकार ने जनता के मसले पर खुद को बैकफुट पर पाया और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 17 जनवरी को एक वीडियो जारी कर पीछे हटने की घोषणा कर दी.
जुलाई से किसानों ने मंसूरवाल में स्थित मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड की इथेनॉल और अल्कोहल की फैक्ट्री की ओर जाने वाली सभी सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. उनका आरोप है कि इस फैक्ट्री के कारण उनकी मिट्टी, हवा और भूजल सब प्रदूषित हो रहा है. आप सरकार ने अपने पहले ही साल में खुद को अनायास किसान विरोधी संस्थाओं के साथ खड़े होने की असहज स्थिति में पाया. यहां तक कि सरकार ने पिछले महीने हुए लाठीचार्ज को यह कहते हुए सही ठहराया कि पुलिस फैक्ट्री के बाहर से प्रदर्शनकारियों को हटाने के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन कराने की कोशिश कर रही थी. लेकिन जनाक्रोश को अपने खिलाफ उमड़ता देख आप ने समर्पण करने में ही भलाई समझी. अपने वीडियो संबोधन में मान ने फैक्ट्री को बंद करने की घोषणा की और कहा कि यह फैसला जनहित में पंजाब के पानी, हवा और मिट्टी की सुरक्षा के लिए कानूनी आधार पर किया गया है. उन्होंने कहा, "भविष्य में भी अगर कोई पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा."
Diese Geschichte stammt aus der February 01, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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