यह 11 जनवरी की सर्द सुबह थी, जब बिहार के बक्सर जिले का चौसा अचानक सुलग उठा. आसपास के गांवों के सैकड़ों किसान यहां बन रहे थर्मल पावर प्लांट में घुस गए. उन्होंने जबरदस्त तोडफोड़ और आगजनी की और आरोप है कि इन गांव वालों ने पुलिसकर्मियों से मारपीट भी की. पिछले छह महीने से आंदोलन कर रहे ये किसान इससे एक रात पहले हुई पुलिस बर्बरता की वजह से काफी उग्र हो गए थे. उनका कहना है कि 10 जनवरी की रात 11 बजे के आसपास अचानक बड़ी संख्या में स्थानीय पुलिस ने बनारपुर गांव में भीषण तांडव मचाया. पुलिस कर्मी किसानों के घर में घुस गए, उनसे मारपीट की और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया. सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा एक वीडियो भी वायरल है, जिसमें पुलिसकर्मी एक घर में महिलाओं के साथ मारपीट करते नजर आ रहे हैं. पुलिस कर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने एक किसान के बेटे को को नंगा करके उसकी पिटाई की थी. किसान अपनी नाराजगी की यही वजह बताते हैं.
चौसा में सतलुज थर्मल पावर लिमिटेड नाम की सरकारी कंपनी के निर्माणाधीन विद्युत ताप गृह के परिसर में आधा दर्जन से अधिक बसें और कारें बुरी तरह जली हुई नजर आती हैं. परिसर के कई दफ्तरों में भी भीषण आगजनी के निशान दिखते हैं. कंपनी के सीईओ मनोज कुमार बताते हैं, "चार से पांच सौ लोग सुबह-सुबह यहां पहुंच गए थे. पहले उन्होंने यहां मौजूद महिला पुलिसकर्मियों को जलाने की कोशिश की. मगर 15-20 की संख्या में वे लड़कियां कंटेनर में छिप गईं. फिर लोगों ने बसों और गाड़ियों को जलाना शुरू किया. वे निर्माण कार्य का जिम्मा संभाल रही कंपनी एलऐंडटी के ऑफिस में घुस गए, वहां आगजनी की. उस वक्त परिसर में कंपनी के सात सौ के करीब कर्मी काम पर थे. हमारा दफ्तर परिसर में सबसे पीछे है. उन लोगों ने हमारे पास आकर शरण ली. भीड़ हमारे परिसर तक भी पहुंच गई थी. यह अच्छा हुआ कि एक समझदार व्यक्ति ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक लिया, नहीं तो जो होता, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती."
वहीं किसान आंदोलन से जुड़े एक प्रमुख नेता अंशु चौबे कहते हैं, "पावर प्लांट परिसर में क्या हुआ, हमें मालूम नहीं. उस सुबह हम रात की मारपीट का विरोध करने वहां गए थे. मगर हममें से कोई कंपनी के परिसर में नहीं घुसा. हमें तो ऐसा लगता है कि यह कोई साजिश है, जो हमें बदनाम करने के लिए की गई है."
Diese Geschichte stammt aus der February 08, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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