फरवरी की 18 तारीख की चमकीली वसंत की सुबह, कार्यस्थल पर खुशी को परिभाषित करने के उद्देश्य से आयोजित इंडिया टुडे- आरपीजी ग्रुप हैपीनेस ऐट वर्कप्लेस समिट ऐंड अवार्ड्स कार्यक्रम में देश के कुछ बेहतरीन दिमाग एक साथ आए. कामयाबी क्या है? क्या एक निश्चित लक्ष्य प्राप्त कर लेना कामयाबी है, या अपने प्रतिस्पर्धियों को मात देना कामयाबी है? क्या कामयाबी आपको खुश करती है या खुशी आपको कामयाब बनाती है ? इन गूढ़ बातों और ऐसे कई अन्य विचारों पर कार्यक्रम में गहन मंथन हुआ.
विश्व स्तर पर, जबकि दुनिया कोविड- 19 महामारी के कहर से उबर रही है और कर्मचारी दफ्तरों में लौट आए हैं, एक नए प्रकार का सामान्य चलन बन रहा है. अधिक संख्या में कॉर्पोरेट्स हाइब्रिड वर्क कल्चर को अपना रहे हैं क्योंकि कर्मचारियों का कल्याण एक अहम कारक बन गया है. कई शोध अध्ययनों ने साबित किया है कि कार्यस्थल की खुशी और उत्पादकता के बीच सीधा संबंध है. इसे पर्मा (पीईआरएमए) मॉडल के जरिए वैज्ञानिक रूप से भी समझाया गया है, जो खुशी और कल्याण के पांच मूल तत्वों- पॉजिटिविटी इमोशन (सकारात्मक भावना), एंगेजमेंट (जुड़ाव), रिलेशनशिप (संबंध), मीनिंग (अर्थ) और अकम्प्लिश्मेंट (उपलब्धियां) का प्रतिनिधित्व करता है. कई संगठन अब इन तत्वों को विकसित करने के लिए कदम उठा रहे हैं, कुछ ने 'चीफ हैपीनेस ऑफिसर' जैसे पद भी सृजित किए हैं.
Diese Geschichte stammt aus der March 08, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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