यह उल्लेखनीय है कि युद्ध, महामारी, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक अशांति आदि अनेक प्रतिकूलताओं के बावजूद जनगणना करने की महान ऐतिहासिक परंपरा को बनाए रखा गया है. दुनिया के बहुत कम देश इस तरह की विशिष्टता का दावा कर सकते हैं."
ये बातें 2011 की जनगणना रिपोर्ट के शुरुआती पन्नों में लिखी गई हैं. लेकिन भारत की इस गौरवशाली परंपरा का गुणगान करने वाले को इस बात का एहसास न रहा होगा कि अगली ही जनगणना में यह परंपरा टूटने वाली है. 2021 की जनगणना को लेकर मौजूदा स्थिति यह है कि इसकी रिपोर्ट 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले आने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है. केंद्र सरकार इस देरी के लिए कोविड-19 को जिम्मेदार ठहरा रही है तो विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सरकार जनगणना में असहज करने वाले आंकड़े आने के अंदेशे से इसे टाल रही है.
इस साल जनवरी में 2021 की जनगणना के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव बाउंड्री फ्रीज करने की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 30 जून, 2023 कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि किसी भी पंचायत, तालुका या जिले जैसी प्रशासनिक इकाइयों की जो सीमारेखा 30 जून को होगी, उसे तब तक नहीं बदला जा सकता जब तक जनगणना की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. जनगणना प्रक्रिया के पहले चरण में घरों को सूचीबद्ध किया जाता है और दूसरे चरण में लोगों की गिनती की जाती है. एडमिनिस्ट्रेटिव बाउंड्री फ्रीज करने के तीन महीने बाद ही घरों को सूचीबद्ध करने का काम शुरू हो सकता है.
वैसे, 2021 की जनगणना की तैयारियां पटरी पर रही थीं. अधिसूचना जारी हो चुकी थी. अप्रैल से सितंबर, 2020 के बीच घरों की सूची बनाने का काम पूरा कर लिया जाना था और 9 से 28 फरवरी, 2021 के बीच जनगणना होनी थी. लेकिन कोरोना ने इसे बेपटरी कर दिया. इस देरी पर जब केंद्र सरकार से संसद में सवाल पूछा गया तो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 14 दिसंबर, 2022 को जवाब दिया, "कोविड- 19 महामारी के प्रकोप के कारण, जनगणना 2021 और संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है."
Diese Geschichte stammt aus der March 22, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der March 22, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"