दो हजार तीन में रॉबिन रैना नोएडा में अपने दफ्तर की सबसे ऊपरी मंजिल पर खड़े थे कि अचानक उनकी आंखों में आंसू आ गए. 2.5 अरब डॉलर की सॉफ्टवेयर और ई-कॉमर्स सॉल्यूशंस फर्म ईबिक्स, जिसके वे संस्थापक और सीईओ हैं, की भव्य बिल्डिंग के चारों तरफ उन्हें झुग्गियां नजर आ रही थीं. हालांकि, उनके आंसू इसलिए नहीं निकले क्योंकि वहां चारों तरफ झुग्गियां खड़ी थीं, बल्कि इसलिए कि उनकी नजर पहली बार उन पर पड़ी थी. रैना कहते हैं, "मुझे लगा कि मैं भौतिक चीजों के पीछे भागता इतना खो गया हूं कि उनकी ओर देख ही नहीं पाता जिन्हें जिंदगी जीने के लिए इतना संघर्ष करना पड़ता है."
उस घटना ने फिटनेस के प्रति इस उत्साही भारतीयअमेरिकी बिजनेस दिग्गज का पूरा ध्यान परोपकार की ओर मोड़ दिया. तमिलनाडु में सूनामी से प्रभावित दो गांवों को गोद लेने से लेकर, दिल्ली में लड़कियों के लिए कौशल प्रशिक्षण केंद्र, मुंबई में अनाथ लड़कियों के लिए घर या फिर एनसीआर में एंबुलेंस प्रायोजित करना हो, परोपकारी कार्यों में उनके योगदान की सूची अब बहुत लंबी और विविधतापूर्ण है.
Diese Geschichte stammt aus der March 29, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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