धरतीपुत्र की पुकार
India Today Hindi|April 19, 2023
अपने दुर्जेय प्रतिद्वंद्वियों, कांग्रेस और भाजपा के हाथों (एस) की राजनैतिक जमीन गंवाने का खतरा भांपकर पार्टी के संरक्षक एच. डी. देवेगौड़ा खुद मैदान में उतरे
अजय सुकुमारन
धरतीपुत्र की पुकार

पिछली मई में, जनता दल (सेक्युलर) के संरक्षक एच.डी. देवेगौड़ा ने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था. एक क्षेत्रीय दल जो 2019 के मध्य से सत्ता से बाहर था, उसके लिए वयोवृद्ध देवेगौड़ा द्वारा रैली का मतलब है कि पार्टी अपनी वापसी के लिए आशान्वित है और उसके संरक्षक नया जोश भरने आए हैं. गौड़ा ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया, "हमारा संघर्ष यहां से, फिर से शुरू होता है." पिछले एक साल में, अपने खराब स्वास्थ्य के कारण देवेगौड़ा शायद ही कभी सार्वजनिक सभाओं में दिखाई दिए. लेकिन, 26 मार्च को वे मैसूरू में थे जहां समर्थकों की भीड़ उन्हें सुनने के लिए उमड़ पड़ी. गौड़ा ने निराश भी नहीं किया. उनके बेटे एच.डी. कुमारस्वामी ने उत्साह में भरकर कहा कि डॉक्टर ने इतने महीनों में उपचार से उनके शरीर को जितनी राहत पहुंचाई, उससे ज्यादा लाभ तो यहां उमड़ी भीड़ ने पहुंचा दिया. 91 साल की उम्र में भी गौड़ा पार्टी के लिए राज्य के दक्षिण में भीड़ खींच रहे हैं, जहां एक बड़ी लड़ाई की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है.

पिछले चुनावों की तरह इस चुनाव में भी जेडी (एस) 224 सीटों वाली राज्य विधानसभा में दुर्जेय प्रतिद्वंद्वियों, कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ रहा है. जनता दल से अलग होकर पार्टी को अस्तित्व में आए 24 साल हो चुके हैं. तब से तीन बार, यह गठबंधन सरकारों का हिस्सा रहा है लेकिन इनमें से कोई भी गठबंधन 20 महीने से अधिक नहीं चला. जेडी (एस) ने गठबंधन की पहली सरकार 2004 में कांग्रेस के साथ, फिर 2006 में भाजपा के साथ और 2018 में फिर से कांग्रेस के साथ बनाई थी. 10 मई को राज्य में चुनाव होने वाले हैं. यहां जेडी (एस) एक प्रमुख कारक बना हुआ है. 2018 में हुए पिछले चुनाव में इसने 18 प्रतिशत वोट हासिल किए, जो इसे सत्ता के खेल में एक प्रमुख धुरी बनाए रखने के लिए पर्याप्त थे. इसके बड़े प्रतिद्वंद्वियों को भी यही डर है इसलिए वे मतदाताओं को लगातार सावधान कर रहे हैं कि खिचड़ी सरकार के बजाय किसी एक पार्टी को ही सत्ता में लेकर आएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों, जो अक्सर राज्य के दौरे करते रहे हैं, इस बिंदु पर जोर देते हैं.

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