भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा वहां पहले से मौजूद थे. इस बैठक में क्या हुआ, इस बारे में आधिकारिक तौर पर दोनों पार्टियों यानी भाजपा और टीडीपी के नेता कुछ भी नहीं बोल रहे. लेकिन सूत्रों के हवाले से पता चल रहा है कि इस बैठक में टीडीपी और भाजपा में गठबंधन को लेकर बातचीत हुई.
टीडीपी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भाजपा की पुरानी साथी रही है. जेडी-यू के 2013 में एनडीए से अलग होने के बाद शरद यादव की जगह चंद्रबाबू नायडू ही इसके संयोजक बनाए गए थे. 2018 में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मसले पर एनडीए से नाता तोड़ने तक वे इसके संयोजक रहे. उनके बाद से एनडीए संयोजक का पद खाली है.
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में कई मौकों पर नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. बीते अप्रैल में तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि वे राष्ट्र निर्माण में मोदी के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. अनौपचारिक बातचीत में भाजपा के एक नेता जानकारी देते हैं, "उन्हें फिर से एनडीए का संयोजक बनाने में पार्टी को कोई दिक्कत नहीं है. टीडीपी के साथ आने से भाजपा को आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना के उन क्षेत्रों में भी फायदा मिल सकता है जहां टीडीपी अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है."
नायडू के साथ दिल्ली की बैठक के बाद जब अमित शाह आंध्र प्रदेश गए तो उन्होंने जगन मोहन रेड्डी और उनकी सरकार के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर हमलावर रुख अपनाया. शाह के इस रुख से अनुमान लगाया जा रहा है कि टीडीपी के साथ आगे बढ़ने को लेकर भाजपा में सहमति बन गई है. आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं.
Diese Geschichte stammt aus der June 28, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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