यह रविवार की उमस भरी शाम थी. अजीत कुमार अपनी कार पोछ रहे थे तभी उन्होंने गगनभेदी आवाज सुनी. शुरू में उन्हें लगा कि बिजली गिरी है लेकिन फिर एहसास हुआ कि आवाज तो निर्माणाधीन अगुवानी-सुल्तानगंज पुल के गिरने की थी. पुल का 575 मीटर हिस्सा (पाया या पाइलॉन नंबर 9 से 13 वाला) टूटकर गंगा में समा गया था. बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज घाट के सामने स्थित होटल अशोका गार्डन के मालिक अजीत याद करते हैं, "मलबे की धूल कुछ देर तक नदी के ऊपर छाई रही. यह बहुत डरावना था."
इस पुल को एस.पी. सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड बना रहा है. खगड़िया जिले के सुल्तानगंज और अगुवानी घाट को जोड़ने वाले 3.16 किमी लंबे इस पुल का अब तक का सफर बड़ा मनहूस रहा है. 4 जून की दुर्घटना एक साल से थोड़े अधिक समय के भीतर ऐसी दूसरी बड़ी दुर्घटना थी. इससे पहले, 30 अप्रैल, 2022 को पुल के पाया संख्या 5 के दोनों किनारों के 19 ब्लॉक पर टिके पुल के एक्सट्राडोज्ड स्पैन (पुल को सहारा देने वाले हिस्से) का 162.5 मीटर का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था (देखें ग्राफिक्स: आखिर क्यों गिरा पुल)
विडंबना देखिए कि बिहार अपने कई पुलों के लिए जाना जाता रहा है. अगुवानी-सुल्तानगंज पुल को भी एक असाधारण परियोजना माना जाता था. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसमें उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाली गंगा पर चार लेन की एक सड़क भी शामिल है. मनोरम नदी के ऊपर इस केबल स्टे ब्रिज (ऐसे पुल जिसमें मोटे-मोटे तार का सहारा दिया जाता है) को पांच हिस्सों में कंक्रीट के ढांचे पर बांधा गया है जो उत्तर-पूर्व में कोसी क्षेत्र के खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले और दक्षिण-पूर्व के भागलपुर, मुंगेर और जमुई जिलों को जोड़ेगा. पुल के लिए अनुबंध पर नवंबर 2014 में हस्ताक्षर किए गए थे और छह कंपनियों में से सबसे कम बोली लगाकर सिंगला कंस्ट्रक्शन ने यह ठेका हासिल किया था. इसकी लागत 1,710.8 करोड़ रुपए निर्धारित की गई थी, जिसमें से पुल पर 8 59 करोड़ रुपए खर्च होने थे. बाकी रकम का इस्तेमाल जमीन अधिग्रहण में किया जाना था.
Diese Geschichte stammt aus der June 28, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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