यह काफी सोच-विचार, शादियों की तर्ज पर तोल-मोल और शुरुआत की एक असफलता के साथ हुआ. मुहूर्त निकला जून की 23 तारीख का. उस दिन 15 राजनैतिक पार्टियों के 32 नेता, 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार को केंद्र से बेदखल करने के साझा मिशन का ऐलान करने के लिए पटना में थे. बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) के नेता नीतीश कुमार की तरफ से बुलाई गई इस बैठक का घोषित उद्देश्य मोदी की "फासीवादी और निरंकुश हुकूमत' से "भारतीय लोकतंत्र को बचाना" था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की मुखिया ममता बनर्जी ने गंभीर चेतावनी देते हुए कहा, “अगर भाजपा अगला (लोकसभा) चुनाव जीत जाती है, तो भविष्य में शायद भारत का ही अस्तित्व न हो... फिर कोई चुनाव नहीं होगा."
मगर इस जमावड़े यानी बीते नौ साल में गद्दीनशीन भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बनाने की इस पहली कवायद का लक्ष्य भारतीय लोकतंत्र को बचाना भर नहीं है. इसकी वजह अस्तित्व का वह संकट भी है, जिसकी शुरुआत 24 मार्च की उस घटना में देखी जा सकती है जब 14 पार्टियों ने “विपक्ष के नेताओं के खिलाफ सीबीआइ और ईडी सरीखी केंद्रीय जांच एजेंसियों के अंधाधुंध इस्तेमाल" के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. यह वही दिन था जब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दोष सिद्ध होने के बाद लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया था. राहुल को संसद से निकाल दिए जाने के बाद विपक्ष का मानना है कि मोदी की अगुआई वाली भाजपा ने बदले की राजनीति को एक नए गर्त में पहुंचा दिया है. फिर हैरानी क्या कि 19 राजनैतिक पार्टियों ने साथ मिलकर दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया.
Diese Geschichte stammt aus der July 12, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der July 12, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही