नरेंद्र मोदी के साथ नजदीक से काम करने वाले जानते हैं कि प्रधानमंत्री जो भी कहते या करते हैं, वह बेतरतीब नहीं होता. मोदी का हर काम बड़ी तस्वीर से जुड़ा होता है जो कभी-कभी उनके साथियों और विरोधियों को भी पता नहीं चल पाता. देश पर मोदी की हुकूमत के बीते नौ साल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने अप्रतिम नेता की प्रबंधन शैली को बड़े पैमाने पर आत्मसात कर लिया है. उस अनूठी खूबी को सत्ता की अथक (कई लोग इसे निर्मम कहते हैं) पिपासा से जोड़कर भाजपा ने मोदी और उनके सिपहसालार अमित शाह की अगुआई में खुद को बेहद ताकतवर राजनैतिक ताकत में तब्दील कर लिया है. कहा जा सकता है कि अब वह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी है, जो कॉर्पोरेट कंपनियों सरीखी दक्षता से काम करती है, अपनी उपलब्धियों से संतोष नहीं करती, और झटकों तथा नाकामियों से हमेशा सीख लेती है.
अब जब 2024 के आम चुनाव में एक साल से भी कम वक्त रह गया है, भाजपा ने अपने दम पर बहुमत के साथ केंद्र में लगातार तीसरा असाधारण कार्यकाल हासिल करने के लिए अपना भव्य गेमप्लान जाहिर कर दिया है, जो 2014 और 2019 में हासिल उसके संपूर्ण दबदबे का ही एक और दोहराव है. इस मिशन को तत्काल अंजाम देना उस वक्त और जरूरी हो गया जब 15 विपक्षी दल भाजपा को हराने की गरज से अपनी-अपनी ताकत को सामूहिक शक्ति में बदलने के तरीकों पर विचार करने 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में इकट्ठा हुए.
Diese Geschichte stammt aus der July 26, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"