इंडिया टुडे ग्रुप एजुकेशन कॉन्क्लेव 2023 सत्यभामा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी की तरफ से प्रस्तुत दमदार आयोजन था, जिसमें भारतीय शिक्षा जगत की कुछ अग्रणी विभूतियों ने हिस्सा लिया. चर्चा के लिए उठाए गए मुद्दों में 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को जमीन पर उतारने से लेकर चैटजीपीटी सरीखे आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआइ) पर आधारित सॉफ्टवेयर से पैदा बुनियादी उथल-पुथल और देश भर के कॉलेज तथा विश्वविद्यालयों में छात्रों पर हावी जबरदस्त तनाव तक आज शिक्षा क्षेत्र के सामने मौजूद कुछ बेहद संगीन मुद्दे शामिल थे.
कॉन्क्लेव का मुख्य कार्यक्रम केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ हुआ सत्र था, जिसमें तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई. इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा के साथ बातचीत में प्रधान ने कहा कि एनईपी को लागू करना अब तक सुचारु रहा है. उन्होंने कहा, "यह यात्रा बहुत संतोषजनक रही है. सभी के सहयोग और आलोचना के साथ हम सही राह पर चल रहे हैं और निकट भविष्य में अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगे." प्रधान ने हालांकि यह भी कहा कि सामाजिक-आर्थिक कारकों का असर अब भी वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा, "यह बड़ी चिंता का विषय है... देश में कामकाजी आयु समूह 15 वर्ष से शुरू होता है." उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र उच्च शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने के कदम उठा रहा है. उन्होंने टेक्नोलॉजी की तेज प्रगति को लेकर भी चिंता जाहिर की, “महज साल भर पहले किसी को पता तक नहीं था कि चैटजीपीटी क्या है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं कि मुझे चिंता होती है कि हम अपने छात्रों को ताजातरीन बदलावों से कैसे वाकिफ रखेंगे."
Diese Geschichte stammt aus der August 09, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 09, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं