कर्नाटक हाइकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अगुआई में 22वें भारतीय विधि आयोग ने 14 जून को देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर सभी संबंधित पक्षों, आम लोगों और धार्मिक संगठनों से राय मांगने के लिए अधिसूचना जारी की. यूसीसी देश में एक समान नागरिक कानून बनाने और लागू करने का प्रस्ताव है. यह मौजूदा सभी धर्म आधारित पसर्नल लॉ की जगह ले लेगा और विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामले में हर भारतीय पर लागू होगा, चाहे वह किसी जाति, धर्म या लैंगिक पहचान का हो. यह अधिसूचना सबको हैरान कर गई, क्योंकि पांच साल पहले ही 21वां विधि आयोग इस नतीजे पर पहुंचा था कि यूसीसी देश में "इस मौके पर न जरूरी है और न ही वांछित है."
एक पखवाड़े बाद 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में पार्टी कार्यकर्ताओं की सभा में यूसीसी की जोरदार वकालत की, तो राजनैतिक तूफान खड़ा हो गया. उन्होंने कहा, “कल्पना कीजिए कि एक ही घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून है और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा. क्या ऐसा घर चल सकता है?" वे वही दोहरा रहे थे जो सरकार ने अक्तूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में कहा था, "विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोग अलग-अलग संपत्ति और वैवाहिक कानूनों का पालन करते हैं, तो यह देश की एकता के खिलाफ है."
Diese Geschichte stammt aus der August 16, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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