भारत के शीर्ष लॉ स्कूल की नजरें वैश्विक मंच पर गड़ी हैं. वहां पहुंचने के लिए वह अनुसंधान पर जोर दे रहा है. बेंगलुरू स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआइयू) ने बीते कुछ साल इस दिशा में जो कोशिशें कीं, वे अब साफ तौर पर रंग ला रही हैं. मसलन, 2023 की नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की रैंकिंग में इसके अंक 'रिसर्च और प्रोफेशनल प्रैक्टिस' पैरामीटर में पिछले साल के 57.01 (100 में से) से प्रभावशाली छलांग लगाकर 71.85 पर पहुंच गए. दूसरे सभी पैरामीटर में भी इसके अंक या तो एक से बने रहे या उनमें सुधार दिखाई दिया.
अनुसंधान के नतीजों में इस साल और भी बढ़ोतरी की उम्मीद करते हुए वाइस-चांसलर सुधीर कृष्णास्वामी कहते हैं, “रिसर्च की दास्तान तो अभी शुरू हुई है. हम जिस किस्म के शिक्षकों को भर्ती करते रहे हैं और भीतर ही भीतर जो संस्कृति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें शोध के नतीजों पर भी उतना ही जोर दिया जाता है जितना पढ़ाने की प्रतिबद्धता पर, यह उससे बहुत करीब से जुड़ा है." मगर उनका यह भी कहना है कि शोध के नतीजों का उतना ही वास्ता उनके प्रभाव से भी है. इसलिए संस्था का लक्ष्य उन सार्वजनिक संवादों से जुड़ना है जो मायने रखते हैं. वे कहते हैं, “तो भविष्य की तरफ देखते हुए प्रमुख जोर इसी पर होगा. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्षों में हम इतनी ऊर्जा और परिणाम जुटा लेंगे कि भारत और उसके बाहर बौद्धिक क्षेत्र और विमर्श को वाकई गढ़ सकें."
Diese Geschichte stammt aus der August 16, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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