कैलास से कैंब्रिज तक
India Today Hindi|August 23, 2023
अपने बोल्ड सामाजिक-सांस्कृतिक प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं रामकथा गायक मोरारी बापू. इस बार श्रावण अधिमास में उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंगों पर मानस गाया. और अब कैंब्रिज विश्वविद्यालय में गूंजेगी चौपाई
शिवकेश
कैलास से कैंब्रिज तक

वाकया तो यह दिसंबर 2014 का है पर गौर करने लायक है. चर्चित रामकथा गायक मोरारी बापू एक कथा के लिए कोलकाता के न्यू अलीपुर में एक उद्योगपति के यहां हट में रुके थे. एक दोपहर उनसे मिलने मुंबई से एक अधेड़ उम्र का अनुयायी आया. शुरुआती औपचारिकताओं के बाद उसने एक पुस्तिका निकालकर बापू को दिखानी शुरू की जिसका शीर्षक कुछ इस तरह का था: मोरारी बापू के प्रातः स्मरणीय श्लोक. इस पर उनके खुश हो उठने की अपेक्षा के साथ उसने बताना शुरू कर दिया कि इसे छपवाकर बहुत-से लोगों में वह बांट भी चुका है. हमेशा शांत दिखने वाले बापू का बदलता चेहरा देखने लायक था. "यह क्या किया है आपने? इसी तरह से समझा है मुझे? मेरी बातें तो इसके खिलाफ पड़ती हैं. घिसे-पिटे ढर्रे पर ही चलते रहने को मैं कैसे कह सकता हूं?" सारा माहौल असहज. आसपास मौजूद लोग और आगंतुक भी सन्न वहां से उठने के बाद एक युवा उत्साही अनुयायी ने दूसरे से कहा, "इस बंदे पर मुकदमा कर दें? बापू से पूछे बिना उनके नाम से किताब छपवाकर उनकी इमेज खराब करने पर..." सहचर ने धीरे से समझायाः उस बंदे ने जो किया सो किया, तुम भी अब तक न समझ पाए? बापू हमेशा कहते आए हैं, संवाद करो, विवाद नहीं."

एक और वाकया उसी साल मई का. बापू गोंडा (यूपी) में दूरदराज के राजापुर गांव में कथा कह रहे थे. वहीं पर मुशायरे के लिए बुलाए गए शायरों में मुंबई के बुजुर्ग और अशक्त-से असीर बुरहानपुरी भी शामिल थे. लखनऊ से ही उन्होंने पान खा और बंधवा लिए थे. कच्चे रास्तों से गुजरती कार में उछाल खाने के बाद पान थूकते हुए वे बोले: “इस उम्र में ऐसे सितम का क्या कहिए! पर क्या करें, इस फकीर की पर्सनालिटी ऐसी है कि खींचे लिए आती है." उन्होंने एक और ऑब्जर्वेशन दी कि मुशायरे में लोग बापू की चापलूसी में भी कलाम पढ़ेंगे लेकिन वे ताड़ लेते हैं कि कौन क्या और क्यों कर रहा है.

Diese Geschichte stammt aus der August 23, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.

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