मेटावर्स. एक नाम, एक विचार. यह विचार विज्ञान गल्प कथा और साइबर संस्कृति की कल्पनाओं में था जब तक कि मार्क जुकरबर्ग ने इसे अपने विशाल डिजिटल साम्राज्य का नया नाम नहीं बना दिया. यह नामकरण आपस में जुड़ी डिजिटल कायनातों के विशाल से विशालतर होते जाते महाजाल की नुमाइंदगी करता है, जो अगर सोचा जाए तो भौतिक यथार्थ का वस्तुतः विस्तार कर सकता है जबकि वास्तविक यथार्थ को भौतिक रूप से बदल सकता है. कुछ अगड़म बगड़म-सा लगता है? तो यह रही सीधी-सादी कैफियत. टेक्नोलॉजी में शानदार तरक्की के बावजूद इस वक्त हम मोटे तौर पर 2डी संचार के भरोसे हैं-कुछ वैसा ही जो आप जूम या एमएस टीम्स पर देखते हैं. आप वर्चुअल बैठकें करते हैं, पर आपको लगता नहीं कि आप किसी भौतिक जगह में साथ थे. क्या होगा जब आप आखिरकार असल में आंख से आंख मिला पाएंगे और देह भाषा पढ़ पाएंगे? क्यों आप “बीम मी अप, स्कॉटी" (स्टार ट्रेक में बोला गया मुहावरा, मोटे तौर पर जिसका अर्थ है मुझे यहां से निकालो) किस्म की चीज भी कर सकेंगे और अपने डिजिटल अवतार को टेलीपोर्ट करके पलक झपकते फैक्टरी का जायजा लेने जा सकेंगे या किसी दुकान में नए कपड़े ट्राइ कर सकेंगे. जरूरत है तो बस 3डी कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी की. इस पर अभी काम चल रहा है और आपको इसके लिए इंतजार करना होगा. 2047 तक नहीं, जब भारत आजादी की 100वीं सालगिरह मनाएगा. बस 2027 तक, यानी अब से महज चार साल.
Diese Geschichte stammt aus der August 30, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.