बेंगलूरू में छोटे उद्योगों के गहमागहमी वाले केंद्र पीन्या में एमओएक्स या मिशन ऑपरेशन्स कॉम्प्लेक्स-2 एक बेहद सामान्य - सा पीडब्ल्यू टाइप परिसर है. इसकी ओर आने वाली सड़क पर ताजा-ताजा तारकोल बिछा है. यह 26 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तैयारी में किया गया था, जो चंद्रमा पर चंद्रयान-3 मिशन की शानदार सफलता पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को बधाई देने पहुंचे थे. लेकिन सुरक्षा कारणों से इसे उनके दौरे तक बंद रखा गया था.
एमओएक्स के परिसर में अब चर्चित मून लैंडर विक्रम और उसके सहयात्री प्रज्ञान रोवर के वास्तविक आकार का मॉडल प्रदर्शित किया गया है. ये प्रधानमंत्री को दिखाने के लिए शहर के दूसरे छोर पर स्थित यू. आर. राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी) से लाए गए थे. चमकीले स्वर्णिम रंग के थर्मल कंबल में लिपटा विक्रम अपने चार लैंडिंग पैरों के अस्वभाविक रूप से करीब 10 फुट ऊंचा है, लेकिन किसी बक्से जैसा दिखता है. 1,742 किलोग्राम वजन का लैंडर चंद्रमा पर ऐसे उतरा, जैसे कोई लघु एसयूवी उपग्रह की सतह पर गिरा हो. चमकदार एल्युमीनियम के पहिए वाला रोवर प्रज्ञान किसी बड़े स्केटबोर्ड की तरह दिखता है. इसरो के वैज्ञानिक और उनके परिजन स्पेसक्राफ्ट की प्रतिकृति के साथ सेल्फी लेने में जुटे हैं, उससे पहले कि इसे फिर अलग-अलग करके यूआरएससी न पहुंचा दिया जाए.
Diese Geschichte stammt aus der September 13, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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