चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे. इसकी वजह से उनकी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय बैठक की उम्मीदें धूमिल हो गईं. इसमें वे एक पखवाड़े पहले की अपनी चर्चा को आगे बढ़ा सकते थे. जोहानसबर्ग में 24 अगस्त को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर एक बैठक में मोदी और शी मिले तो दोनों नेताओं ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 'तनाव घटाने और सैन्य वापसी के प्रयासों में तेजी लाने' पर सहमति जताई, जहां मई 2020 से ही भारतीय सेना और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच गतिरोध जारी है. एलएसी पर दोनों पक्षों की तरफ से बड़ी संख्या में सैनिकों और सैन्य उपकरणों का जमावड़ा है लेकिन सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता के बावजूद पूर्ण वापसी कोई हल नहीं निकला है. फिर भी, चीन के रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू ने अप्रैल में अपनी ई दिल्ली यात्रा के दौरान सीमा पर जारी गतिरोध को द्विपक्षीय संबंधों से अलग बताने की कोशिश की और कहा था कि सीमा की स्थिति 'स्थिर' है. हालांकि, जमीनी स्थिति कुछ और ही तस्वीर बयान करती है-चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में ताबड़तोड़ सैन्य/दोहरे इस्तेमाल वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं और अपने मौजूदा ठिकानों को भी मजबूत कर रहे हैं, जहां से भारत पर निशाना साधना आसान हो सकता है. भारतीय सैन्य जानकारों का मानना है कि तनाव घटने और अप्रैल 2020 से पूर्व वाली स्थिति बहाल होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती.
सैटेलाइट चित्रों और अन्य रिपोर्टों से पता चलता है, रणनीतिक तैयारियों के तौर पर एलएसी के नजदीक सड़कें बनाई या उन्नत की जा रही हैं. भूमिगत मिसाइल लॉन्च साइलो, एयरफील्ड ब्लास्ट पेन, लड़ाकू विमानों की पोजिशनिंग, नई रेललाइनों का निर्माण और दोहरे इस्तेमाल वाले गांवों को बसाना भी जारी है. सैनिकों और साजो-सामान की आवाजाही की सुविधा के लिए लगभग 50 पट्टियों/हवाई अड्डों और हेलिपैड का भी निर्माण चल रहा है. ये सब पीएलए की विस्तारित तैनाती से जुड़ी तैयारियों के ही संकेत हैं.
Diese Geschichte stammt aus der September 20, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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