![लाइसेंस-परमिट राज की वापसी लाइसेंस-परमिट राज की वापसी](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1694413045/articles/QV0ejCxtr1694427411381/1694427762407.jpg)
उद्योग हलकों में केंद्र सरकार के लैपटॉप और कंप्यूटरों के आयात पर बंदिश लगाने के फैसले पर काफी शोरगुल मचा हुआ है. सरकार 1 नवंबर से लागू होने वाले आयातकों के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता के पक्ष में सरकार की दलील है कि इससे लैपटॉप और कंप्यूटर के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन चारों ओर फिक्र यह है कि यह फैसला तीन दशकों के उदारीकरण के फायदे को अनदेखा करता है. कुछ जानकारों की राय में यह 'लाइसेंस-परमिट' राज की वापसी है. उनका मानना है कि शायद बड़े पैमाने पर दूसरे उत्पादों के आयात पर भी बंदिशें जड़ दी जाएं. इसे वे 'संरक्षणवादी' रवैया कहते हैं, जो विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 3 अगस्त को सात वस्तुओं के आयात पर बंदिशें लगा दीं, जिनमें लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर, सर्वर और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं. हालांकि एक दिन बाद डीजीएफटी ने बंदिशों पर अमल 31 अक्तूबर तक टाल दिया. इसके तहत सिर्फ पूंजीगत सामान के अभिन्न अंग लैपटॉप, ऑल-इन-वन पीसी, कंप्यूटर के अति लघु उपकरण और सर्वर को आयात लाइसेंस से छूट दी गई. एक खेप में ऐसे 20 वस्तुओं को लाइसेंस की जरूरत नहीं है, बशर्ते उनका इस्तेमाल आरऐंडडी, टेस्टिंग, बेंच-मार्किंग, इवेल्युएशन, मरम्मत तथा दोबारा निर्यात, और प्रोडक्ट विकास के लिए किया जाए.
बढ़ते डिजिटाइजेशन की वजह से देश में कंप्यूटर और लैपटॉप में बेहिसाब बढ़ोतरी हो गई है. पिछले दशक में इस क्षेत्र में सालाना आयात 1.5 अरब डॉलर (12,392 करोड़ रु.) से उछलकर 5.3 अरब डॉलर (43,78 4 करोड़ रु.) हो गया. आयात 2021-22 में 7.4 अरब डॉलर (61,132 करोड़ रु.) था. इस क्षेत्र में 70-80 फीसद आयात चीन से है. एक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक, चीन से भारत का आयात अधिकतर तीन मुख्य प्रोडक्ट श्रेणी इलेक्ट्रॉनिक, मशीनरी, और ऑर्गेनिक केमिकल्स की मद में होता है. उसके मुताबिक, भारत को चीन से खासकर रोजमर्रा की चीजों और औद्योगिक उत्पाद की मद में आयात की जरूरत है. औद्योगिक उत्पाद की मद में मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंपोनेंट, सौर सेल माड्यूल्स वगैरह हैं.
बढ़ती आयात निर्भरता
Diese Geschichte stammt aus der September 20, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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![रील के रसिक बनते भस्म-भभूत वाले तपस्वी रील के रसिक बनते भस्म-भभूत वाले तपस्वी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1989944/V1y3fpEIW1739185336590/1739185578189.jpg)
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कहते हैं उपनिषदों का ज्वलंत ज्ञान सबके लिए नहीं है. वजहः यह बुद्धि मात्र की यानी सिर्फ बौद्धिक उपलब्धि नहीं बल्कि शरीर पर उसके निरंतर गहन अभ्यास से आप वहां तक पहुंचते हैं. लेकिन संगम में स्नान के लिए वे विभूतियां भी आती हैं जो तमाम सांसारिक आकर्षणों से दूर हो चुकी हैं.
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कभी औद्योगिक शहर की पहचान रखने वाला मोकामा आखिर नब्बे के दशक में कैसे बना बिहार का क्राइम कैपिटल? अपनी बदनाम छवि से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा यह शहर हाल में गुटों के बीच भारी गोलीबारी से एक बार फिर दहला
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अब जब बाहरी दुनिया में अनिश्चितता दिख रही है तो 2025 के बजट में कुछ बेहद आवश्यक आश्वासन दिए गए हैं, साथ ही राजकोषीय विवेक की सीधी और संकरी राह का अनुसरण किया गया है
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बाकी के रूटीनी मेलों से कितना अलग होता है किताबों और थिएटर के उत्सव-जलसों का मिजाज! जरूरत की या लक्जरी चीजों को खरीदने-बेचने के हड़बोंग से हटकर यहां दिखती है अपने भीतरी सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की बेचैनी (संदर्भ: प्रगति मैदान में दिल्ली विश्व पुस्तक मेला; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारंगम). थोड़ा सजग रहें तो कई गुदगुदाते वाकयों से भी आप गुजरते हैं.
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![ममता पर उत्तर पड़े अखाड़े में ममता पर उत्तर पड़े अखाड़े में](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1989944/K8mZQ7w711739183441045/1739183681656.jpg)
ममता पर उत्तर पड़े अखाड़े में
कभी ग्लैमरस अभिनेत्री रहीं ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने के बाद शुरू हुआ बखेड़ा. अखाड़ों में बढ़ते वैभव के चलते लगा महामंडलेश्वर बनने का चस्का
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देसी स्वाद की देवी
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