"कुछ निश्चित मामलों में महज विरोध करना काफी नहीं है, हमें इसे खत्म करने के लिए काम करना चाहिए" - यह तमिलनाडु के युवा के कल्याण और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन 2 सितंबर को चेन्नै में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स के सम्मेलन में कह रहे थे, जहां उन्होंने अपने बयानों से विवाद छेड़ दिया. यह संगोष्ठी इत्तेफाकन 'एबोलिशन ऑफ सनातन' यानी सनातन के उन्मूलन पर थी. जाहिरा तौर पर यह ऊपर बताई गई तीसरी परिभाषा के अनुरूप है, यानी वह व्याख्या जिसे ब्राह्मणवाद-विरोधी द्रविड़ आंदोलन के भीतर तरजीह दी जाती है.
मगर भाजपा और संघ परिवार ने उनके शब्दों को सहजता से नहीं लिया और उनकी इस तरह व्याख्या की कि जिसका अर्थ था समूचे हिंदू धर्म पर हमला - "जनसंहार" का आह्वान, जैसा कि पार्टी प्रवक्ता ने ट्वीट किया. उदयनिधि के खिलाफ, जो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के पुत्र हैं, जल्द ही सुदूर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में मामले दर्ज करवा दिए गए. अयोध्या के एक साधु ने उनके सिर के लिए 10 करोड़ रुपए का इनाम रखा और अमित शाह व राजनाथ सिंह सरीखे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने उनकी टिप्पणियों की निंदा की प्रधानमंत्री का दफ्तर भी इसमें कूद पड़ा, उसने कहा कि जूनियर स्टालिन के बयान का मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत है. 5 सितंबर को भाजपा ने इन टिप्पणियों की तुलना यहूदियों के बारे में हिटलर के प्रलापों से करके सरगर्मी और बढ़ा दी. भाजपा के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया, "उदय स्टालिन की सोची-समझी टिप्पणी खालिस हेट स्पीच है" और कांग्रेस व इंडिया गुट की तरफ से "स्टालिन के जहर" को दिए गए समर्थन की निंदा की गई.
Diese Geschichte stammt aus der September 27, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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