2019 में अविभाजित शिवसेना और 2020 में शिरोमणि अकाली दल के साथ रिश्तों का अंत कटुता भरे तलाक में हुआ था. 25 सितंबर को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कलगम (अन्नाद्रमुक) का इस फेहरिस्त में जुड़ना भी पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं था. भाजपा और दक्षिण में उसके राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सबसे असरदार साझेदार के बीच रिश्ते तभी से बिगड़ने लगे थे जब जुलाई 2021 में के. अन्नामलाई ने भगवा पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष की कमान संभाली थी. 2011 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और 2019 में इस्तीफा देकर राजनीति में आए 39 वर्षीय तेज-तर्रार अन्नामलाई जुबानी आतिशबाजी का कोई मौका नहीं छोड़ते. उनका यह रवैया उस पार्टी को रास आया जिसे बरसों से अन्नाद्रमुक के साथ रिश्तों में दोयम दर्जे की भूमिका निभानी पड़ रही थी. लिहाजा अब कुछ ज्यादा ही सुधार होता देख उसे कोई हर्ज दिखाई नहीं दिया-भले ही इसका मतलब पुराने दोस्त को नाराज करना क्यों न हो.
अन्नामलाई मानते हैं कि अगर भाजपा तमिलनाडु में द्रविड़ पार्टियों-सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कलगम (द्रमुक) और उसकी प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक - का 50 साल का शिकंजा तोड़कर अपनी बढ़त पर लगी रोक को चकनाचूर करना चाहती है तो उसे राज्य में अकेले अपने दम पर खड़ा होना होगा. जून में पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक की करिश्माई नेता दिवंगत जे. जयललिता के खिलाफ उनकी टिप्पणियों ने रिश्तों में और कड़वाहट घोल दी, जो उनकी तरफ से अन्नाद्रमुक की लगातार आलोचना से पहले ही कमजोर पड़ गए थे.
उससे पहले 2016 में जब जयललिता के निधन से राज्य की राजनीति में खालीपन आया और अन्नाद्रमुक के मौजूदा प्रमुख एडाप्पडी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) और उनसे पहले मुख्यमंत्री रहे ओ. पनीरसेलवम (ओपीएस) के बीच वर्चस्व की खुली लड़ाई छिड़ गई, तो इस फूट का फायदा उठाने के लिए भाजपा आगे आ गई. केंद्र की सत्ता पर काबिज होने से मिली ताकत की बदौलत उसने पहले मध्यस्थ की और फिर चुपचाप दबंग की भूमिका अदा की. फिर तो यह होना ही था कि अपने विस्तार के मंसूबों के प्रयास में वह ज्यादा से ज्यादा मुखर होती गई.
Diese Geschichte stammt aus der October 11, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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