इफरात एपेटाइजर, ड्रिंक्स, सेल्फी और बेतकल्लुफ बातचीत. वैसे तो, बेंगलूरू की 26 वर्षीया सेल्स एग्जीक्यूटिव दीक्षा श्रीवास्तव के लिए यह एक सामान्य शुक्रवार की शाम होती, लेकिन आज इसका वेन्यू और थीम दोनों ही अलग थे. पिछले महीने बेंगलूरू के अक्र्श क्लिनिक में आयोजित इस पार्टी के बारे में दीक्षा कहती हैं, "हमने अच्छा खाना खाया और अपने अंडाणु (एग) संरक्षित करने की अहमियत पर बात की." पार्टी में आई महिलाओं ने गर्भधारण की अपनी योजनाओं, सहायक प्रजनन तकनीक, मां बनने के फैसले से पहले कुछ और वक्त हासिल करने के बारे में बातचीत की. इस 'एग-फ्रीजिंग पार्टी' ने उन्हें इतना प्रेरित किया कि जल्द ही उन्होंने बचपन की सहेलियों की वर्चुअल कम्यूनिटी बना ली, जिसे अब वे गर्व से 'द डिलेड' कहती हैं. वे कहती हैं, "हम घर पर अपने ड्रिंक्स बनाते हैं और मैं सीखा हुआ सब कुछ उनसे साझा करती हूं. हममें से कोई अगले पांच-छह साल बच्चे पैदा करना नहीं चाहती, इसलिए एग फ्रीजिंग शानदार विकल्प मालूम होता है."
एग फ्रीजिंग को पश्चिम में भले कुछ साल पहले लोकप्रियता मिल गई हो, पर बढ़ती जागरूकता और खुले संवाद की बदौलत भारत में भी यह रुझान धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है. कई युवतियों को इसने गर्भधारण के इरादों के बारे में खुलकर चर्चा करने का आत्मविश्वास दिया है. अभिनेत्री मोना सिंह ने हाल में बताया कि उन्होंने 34 साल की उम्र में अपने एग्स तब तक के लिए फ्रीज करवा लिए जब तक कि वे बच्चों को जन्म देने के लिए तैयार नहीं हो जातीं. हैदराबाद की 34 वर्षीया लिथिका भानु भी एग फ्रीजिंग के अपने अनुभव सोशल मीडिया पर खुलकर व्यक्त करती हैं. वहीं पुणे में मास्टर्स डिग्री कर रही 28 वर्षीया अदिति पाटिल खुश हैं कि उनके माता-पिता इस विचार के प्रति उदार हैं. वे कहती हैं, "एग फ्रीज करवाने के मेरे फैसले से उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी और इसीलिए इसके बारे में बात करना मेरे लिए आसान है." वे हंसते हुए यह भी कहती हैं, "मुझे वाकई लगता है कि काश! उनके पास यह विकल्प होता."
बदला नजरिया
Diese Geschichte stammt aus der November 01, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"