उत्तराखंड में गंगोत्री-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक निर्माणाधीन सुरंग में काम कर रहे 40 श्रमिकों के लिए यह दीवाली काली साबित हुई. 12 नवंबर को सुबह 5.30 बजे जब बाकी भारत रोशनी का त्योहार मनाने के लिए जग रहा था, प्रस्तावित 4.5 किलोमीटर लंबी सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग का 100 मीटर का हिस्सा अचानक ढह गया. भूस्खलन के बाद छत ढह गई और टनों ढीली मिट्टी तथा गिरे हुए मलबे ने सुरंग के मुहाने को बंद कर दिया, जिससे श्रमिक अंदर ही फंस गए.
नेशनल हाइवेज ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) और उत्तराखंड सरकार ने बचाव कार्य के लिए लोगों और मशीनरी को भजा, लेकिन अगले 48 घंटों तक स्थिति ऐसी ही बनी रही. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के सचिव डॉ. रंजीन सिन्हा ने इंडिया टुडे को बताया, "बचाव दल को सावधान रहना पड़ा, क्योंकि इतनी भारी मशीनरी के साथ साइट पर पहुंचना और ढीली मिट्टी पर इसे तैनात करना भी जोखिम भरा था. यह जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता, वरना मशीनें ढह जातीं."
विडंबना कि धरासू को यमुनोत्री से जोड़ने वाली 853 करोड़ रुपए की सुरंग, जो विवादास्पद चार धाम राजमार्ग विकास परियोजना का हिस्सा है, सड़क का इस्तेमाल करने वालों को ऐसे भूस्खलन से बचाने के लिए बनाई जा रही है. यहां तक कि हादसे के एक दिन बाद, जब बचाव कार्य जारी था, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग (एमओआरटीएच) मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि "एक बार बन जाने के बाद, यह सुरंग... हर मौसम में संपर्क प्रदान करेगी और बर्फ से प्रभावित 25.6 किमी रास्ते को घटाकर... 4.5 किमी कर देगी, जिसके नतीजतन यात्रा का समय फिलहाल लगने वाले 50 मिनट के बजाए पांच मिनट तक कम हो जाएगा."
Diese Geschichte stammt aus der November 29, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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