प्रकाश अग्रवाल, 63 वर्ष संस्थापक, मैसूर दीप परफ्यूमरी हाउस
कार, घड़ी, कपड़े, बेल्ट, जूतेउन्हें किसी चीज का शौक नहीं है. "बच्चे बर्थडे पर कभी कुछ गिफ्ट लाकर दे देते हैं तो लौटा देता हूं या वे चीजें मुझसे खो जाती हैं", 650 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली कंपनी एमडीपीएच शुरू करने वाले प्रकाश अग्रवाल कहते हैं. उनके बेटे अंशुल जोड़ते हैं, "पापा ने आज तक लैपटॉप भी नहीं चलाया. अपने पुराने तरीके से ही पूरा काम करते हैं. " जो भी पाना वह कारोबार को लौटा देना, शायद यही उसूल है जो न सिर्फ अग्रवाल को जमीन से जोड़े रखता है, बल्कि उनके कारोबार को भी लगातार बढ़ने का ईंधन दे रहा है.
प्रकाश तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं. उनका परिवार इंदौर के रानीपुरा में रहा करता था. यह इलाका इंदौर का सबसे पुराना और सबसे बड़ा होलसेल मार्केट है. यहां उनकी पुश्तैनी दुकान हुआ करती थी जिसके ऊपर पूरा परिवार रहता था. चूंकि उनके पिता लंबे समय से किराने की दुकान चला रहे थे, सो प्रकाश से भी यही उम्मीद की जाती थी कि वे इसी काम को आगे बढ़ाएंगे. प्रकाश काम को आगे बढ़ाना तो चाहते थे, लेकिन महज दुकान चलाकर नहीं, खुद का प्रोडक्ट बनाकर.
प्रकाश बताते हैं, "मुझे खुद का प्रोडक्ट बनाना था क्योंकि मेरे दिल में कुछ ऐसा बनाने की इच्छा थी जिसकी क्वालिटी पर मेरा पूरा नियंत्रण हो. लेकिन इतने पैसे भी नहीं थे कि किसी बड़े प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर सकूं." अग्रवाल ने उस वक्त कई चीजों की मैन्युफैक्चरिंग का प्रयास किया-हेयर ऑइल, शैंपू, साबुन, कपड़े धोने का साबुन, मगर कहीं भी उन्हें सफलता नहीं मिली. '80 के दशक में प्रकाश कपड़े की एक दुकान में सेल्समैन का काम करते रहे. आर्थिक समस्याओं और लगातार विफल हो रहे प्रयासों से परेशान प्रकाश की मां ने उन्हें समझाया कि उन्हें बेंगलुरू जाना चाहिए. बेंगलुरू (उस समय बैंगलोर) अगरबत्ती उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था. प्रकाश की मां चाहती थीं कि वे वहां के किसी बड़े अगरबत्ती ब्रांड की एजेंसी ले लें और उनके प्रोडक्ट इंदौर में बेचें.
Diese Geschichte stammt aus der December 13, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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