आप अभी उम्र के तीसरे दशक में हैं. ऐसे में इंदिरा गांधी का किरदार निभाना कितना चुनौतीपूर्ण था?
यह चैलेंजिंग था क्योंकि इतनी बड़ी शख्सियत का किरदार निभाना बड़ी जिम्मेदारी होती है. पर मेघना गुलजार को पता था वे क्या चाहती हैं. उन्होंने प्रोस्थेटिक्स का इस्तेमाल नहीं किया. उनका नजरिया इंदिरा गांधी की स्पिरिट को पकड़ने का था.
अब महिला-केंद्रित फिल्मों की स्वीकार्यता बढ़ी है?
Diese Geschichte stammt aus der December 13, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.
नई सोच का संस्थान
बी-स्कूलों का परंपरागत खाका तोड़कर आइआइएम इंदौर शैक्षणिक उत्कृष्टता पर तो जोर दे ही रहा है, प्लेसमेंट को लेकर अनूठे दृष्टिकोण के साथ सामाजिक प्रभाव बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहा
तो क्या सांची पर भारी पड़ेगा अमूल?
गाजय तो गाय, अब दूध भी मध्य प्रदेश में सियासी मुद्दा बनता जा रहा है. राज्य सरकार ने एमपी राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) का नियंत्रण पांच साल के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंपने का फैसला किया तो हंगामा मच गया.
शर्माजी की अग्नि परीक्षा
शर्मा के लिए स्थितियां आसान नहीं हैं. उपचुनाव वाली सात में से चार सीटों पर हाल के दिनों में कांग्रेस जीतती आई है. दो सीटें आरएलपी और बीएपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के गढ़ वाले क्षेत्र की हैं
परबिया अस्मिता की आवाज
रदा सिन्हा नहीं रहीं. करीब पखवाड़े भर शा जिंदगी उनके साथ शहमात का खेल खेलती रही. पर संयोगों का संयोग कि जिस छठ पर्व को उन्होंने अपार विस्तार देने में गीतों के माध्यम से कालजयी भूमिका निभाई, उसी छठ पर्व के दौरान वे दुनिया से विदा हुईं.
भीमकाय त्रासदी
उनतीस अक्तूबर को धनतेरस का शुभ अवसर था, जो कि दीवाली से दो दिन पहले आता है. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में रेंजर, ड्राइवर, वन रक्षक, टुअर ऑपरेटर और पार्क के प्रबंधन से जुड़ा हर व्यक्ति उत्सव के माहौल में था. लेकिन दोपहर होते-होते स्थितियां एकदम बदल गईं.