राज्यव्यापी आंदोलन से कुशलता के साथ निबटना शिंदे को मराठाओं के एक प्रमुख नेता के तौर पर स्थापित कर सकता है, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर उस तबके के बीच जो जातिगत अभिजात्य वर्ग की सत्ता के गलियारे में विशेष पकड़ की वजह से खुद को अलग-थलग महसूस करता है. आंदोलन से निबटने के उनके प्रयासों के कारण ही नवंबर में मराठा एक्टिविस्ट मनोज जरांगे-पाटील को समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अपना आंदोलन वापस लेना पड़ा.
जरांगे-पाटील ने क्षत्रिय (योद्धा) वर्ग से आने वाले मराठाओं को कुनबी (किसान या खेतिहर) के तौर पर वर्गीकृत करके ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग की थी. कुनबी पहले से ही ओबीसी सूची में हैं. सभी मराठाओं को इस श्रेणी में लाने की मांग का कुनबी समूहों सहित ओबीसी ने भी विरोध किया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट की तरफ से मंत्री और ओबीसी लामबंदी का मोर्चा संभालने वले छगन भुजबल भी जरांगे-पाटील पर निशाना साधते रहे हैं.
जरांगे-पाटील ने अपनी मांग को लेकर दबाव बढ़ाने के इरादे से 29 अगस्त को जालना जिले के अंतारवाली-सरती गांव में आमरण अनशन शुरू किया था. पुलिस ने 1 सितंबर को वहां प्रदर्शनकारी भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया, जिस पर राज्यभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई और ठंडी पड़ चुकी मराठा आरक्षण आंदोलन की चिंगारी एक बार फिर भड़क उठी. 14 सितंबर को शिंदे ने जरांगे-पाटील से मिलकर मराठाओं को आरक्षण बहाल करने के बाद वादा किया, जिसके बाद मराठा एक्टिविस्ट ने भूख हड़ताल खत्म कर दी. सरकार 40 दिन की समयसीमा (25 अक्तूबर) के भीतर आरक्षण की मांग पूरी करने में नाकाम रही तो जरांगे-पाटील ने एक बार फिर भूख हड़ताल शुरू कर दी. बीड जिले में विरोध हिंसक हो गया और ओबीसी नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया.
Diese Geschichte stammt aus der December 20, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der December 20, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं