भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मतगणना के बाद भगवा और नीले रंग में पार्टी-वार जीत को दर्शाने वाले हीट-मैप पर एक नजर डालें, आपको हर तरफ भगवा ही नजर आएगा. पश्चिम में राजस्थान सीमा पर स्थित जावरा से लेकर पूरब में उत्तर प्रदेश सीमा पर चितरंगी तक, कांग्रेस के कब्जे वाले किसी भी विधानसभा क्षेत्र से गुजरे बिना सड़क मार्ग से लगभग एक हजार किलोमीटर तक की यात्रा कोई भी कर सकता है. इसी तरह, राजस्थान सीमा पर दिमनी से लेकर महाराष्ट्र सीमा पर मुल्ताई तक, देश के दूसरे सबसे राज्य में करीब 700 किलोमीटर की दूरी तक कांग्रेस कहीं नजर नहीं आती है. मध्य प्रदेश में पांचवीं बार भाजपा की शानदार जीत आयोग के नक्शे पर कुछ इसी तरह अंकित है. पार्टी ने 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की 66 सीटों के मुकाबले 163 सीटों पर जीत हासिल की है.
कहा जा रहा था कि यह ऐसा चुनाव है, जिसमें भाजपा को 18 साल की सत्ता विरोधी लहर से लड़ना पड़ रहा है, और इसके पीछे 16 साल कुर्सी पर काबिज रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पृष्ठभूमि को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा था. तो, पार्टी ने असंभव जीत को संभव बनाने के लिए क्या कुछ यत्न किए ? इसका श्रेय काफी हद तक राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व की चुनावी रणनीति को दिया जा सकता है. लेकिन इससे इनकार नहीं जा सकता कि कांग्रेस के लचर चुनाव प्रबंधन ने भाजपा की शानदार जीत में अहम भूमिका निभाई.
Diese Geschichte stammt aus der December 20, 2023-Ausgabe von India Today Hindi.
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