टेक्नोलॉजी जिनकी सहेली
माधबी पुरी बुच 57 वर्ष
अध्यक्ष, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
जीवन के शुरुआती समय में ही माधबी पुरी बुच ने तय कर लिया था कि वे चाहे जिस भी क्षेत्र में काम करें, अपना प्रभाव जरूर छोड़ेंगी. आइआइएम, अहमदाबाद से एमबीए पूरा करने के बाद उन्होंने एक साल एक एनजीओ के साथ काम किया. लेकिन उस समय एनजीओ इतने संगठित नहीं हुआ करते थे. इसलिए 1989 में उन्होंने आइसीआइसीआइ का एक ऑफर स्वीकार कर लिया, जो तब बड़े पैमाने पर मैन्यूफैक्चरिंग का समर्थन करने वाला विकास संस्थान था. वहां उन्हें शीर्ष बैंकर के. वी. कामथ के मार्गदर्शन में काम करने का मौका मिला और जैसा बुच बताती हैं, उनके लिए तब तक किसी व्यक्ति की उम्र या लिंग कोई मायने नहीं रखता था, जब तक वह अपना काम बखूबी कर रहा हो.
जैसे-जैसे आइसीआइसीआइ एक बैंक के तौर पर बदला, बुच को नई जिम्मेदारियां मिलने लगीं. तब तत्कालीन बॉस ने उन्हें एक सीख दी. वे बताती हैं, "मुझसे कहा गया था कि जब तक टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल नहीं कर लेती, तब तक कंपनी में कोई अच्छा मुकाम नहीं हासिल कर पाऊंगी."
पांच महीने बाद ही बुच ने भारत के शुरुआती ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में से एक आइसीआइसीआइ डायरेक्ट डॉट कॉम को लॉन्च कर पूंजी बाजार में कदम रखा. उन्हें बदलते दौर में टेक्नोलॉजी की भूमिका साफ नजर आ रही थी. वे बताती हैं, "यह बाजार में सबसे निचले पायदान के व्यक्ति को लोकतांत्रिक तरीके से सशक्त बना रहा था."
अपने शानदार करियर में कई निजी कंपनियों में नेतृत्व वाली भूमिकाएं निभाने के बाद 2017 में बुच के जीवन में तब एक बड़ा मोड़ आया जब उन्हें सेबी में पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया गया. उन्होंने मार्च 2022 में यहां अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली. वे कहती हैं, "हमने डेटा को बहुत कड़ाई से अपनाया है, यहां तक कि नीति निर्धारण में भी." सूचीबद्ध कंपनियों के बीच भेदिया कारोबार बाजार में हेरफेर का पता लगाने और कार्रवाई करने में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए बुच को जाना जाता है. उन्हें कई अन्य पहल करने का श्रेय भी दिया जाता है, जिनमें पुराने कानूनों की समीक्षा और उन्हें बदलने से जुड़े कदम उठाना भी शामिल है.
Diese Geschichte stammt aus der January 03, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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