मुक्के में है दम
निकहत ज़रीन, 27 वर्ष दो बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज
जब 13 साल की निकहत ज़रीन ने पहली बार बॉक्सिंग क्लास में एक लड़के के साथ दांव खेला तो वे चोटिल चेहरे, लाल सूजी नाक और खून से सनी टी-शर्ट लिए घर लौटीं. ज़रीन रो पड़ीं; उन्हें देखकर उनकी मां भी रोने लगीं क्योंकि वे पहले से ही बेटी की शादी की संभावनाओं को लेकर फिक्रमंद थीं. ज़रीन ने उनसे कहा, "मम्मी आप टेंशन काहे को ले रही हैं, नाम होगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी. " वे दूरदर्शी थीं. ज़रीन अब मशहूर खिलाड़ी हैं और लगातार दो विश्व चैंपियनशिप खिताब, एशियाई खेलों में एक कांस्य और राष्ट्रमंडल खेलों में एक स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं.
ज़रीन बॉक्सिंग की दुनिया में कैसे पहुंचीं, यह अपने आप में एक कहानी है. धाविका तो वे थीं ही, उन्होंने नोटिस किया मुक्केबाजी मुकाबलों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले निजामाबाद के कलेक्टर ग्राउंड के मंच पर कोई लड़की नहीं दिखती. उन्होंने अपने वालिद मोहम्मद जमील अहमद से इसकी वजह पूछी. उन्होंने कहा कि समाज लड़कियों को इतना मजबूत नहीं मानता कि वे मुक्केबाजी के दांवपेंच और धां-धूं से निबट सकें. यही शुरुआती प्रेरणा थी जिसकी ज़रीन को जरूरत थी. “मेरे वालिद को बताया गया कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी दोनों बड़ी बहनों के लिए भी मुनासिब रिश्ता मिलना मुहाल हो जाएगा." लोग बार-बार यही कहते कि ये बॉक्सिंग "लड़कियों के लिए थोड़े ही है !"
दो साल बाद, 2011 में जब ज़रीन तुर्की के अंताल्या में जूनियर ऐंड यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में पोडियम के शीर्ष पर खड़ी थीं, और जैसे ही स्टेडियम में राष्ट्रगान गूंजा, उनके रोंगटे खड़े हो गए और उनकी आंखें भर आईं. 16 वर्षीया ज़रीन को पता था कि वे मुक्केबाजी के जरिये से इस भावना को बार-बार दोहराना चाहती हैं. वे कहती हैं, "बॉक्सिंग ने मुझे बहुत कुछ दिया है आजादी और ऐसे दोस्त जो अपने आप में परिवार बन गए.'
Diese Geschichte stammt aus der January 03, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January 03, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.