इसमें तकनीकी और उच्च शैक्षणिक संस्थानों से 100 पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं का चयन 'प्रेरक' के तौर पर किया गया. इस कार्यक्रम के तहत चयनित युवा प्रेरकों को 25 हजार रुपए प्रति माह मानदेय दिया गया. उस समय मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को भाजपा के प्रचार-प्रसार की योजना नाम दिया. 2018 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना को बंद करने की जगह इसका नाम बदलकर 'राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप प्रोग्राम' कर दिया और चयनित युवाओं की संख्या 100 से बढ़ाकर 2,500 कर दी. 2023 में इस प्रोग्राम के पद 2,500 से बढ़ाकर 5,000 कर दिए गए.
राजस्थान में अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नई सरकार ने कार्यभार संभालने के 10 दिन बाद ही इस योजना को बंद करने का फैसला किया है. आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने 25 दिसंबर, 2023 को एक आदेश जारी कर 31 दिसंबर, 2023 से इस योजना को समाप्त कर दिया.
कांग्रेस ने इस योजना को बंद किए जाने को लेकर सवाल उठाए तो भाजपा ने वही हवाला दिया जो 2016 में कांग्रेस ने दिया था. भाजपा नेताओं ने कहा कि गहलोत सरकार ने इस योजना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भर्ती की थी.
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने यह योजना बंद किए जाने पर भाजपा सरकार पर हमला बोला है. गहलोत ने कहा, "भाजपा को अगर राजीव गांधी के नाम से दिक्कत थी तो इस योजना का नाम बदल देती, लेकिन इसे बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण है." वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा का कहना है, "भाजपा सरकार ने नए साल से पहले पांच हजार राजीव गांधी युवा मित्रों को बेरोजगारी का तोहफा दिया है. पिछली भाजपा सरकार में पंचायत सहायकों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन हमने उस योजना को बंद करने की जगह उनके मानदेय में बढ़ोतरी कर उन्हें स्थायी करने का प्रयास किया. भाजपा और कांग्रेस की नीति में यही फर्क है."
Diese Geschichte stammt aus der January 17, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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