तेलंगाना में ए. रेवंत रेड्डी ने 7 दिसंबर को जब मुख्यमंत्री की गद्दी संभाली तो बदलाव और निरंतरता कांग्रेस की दो चिंताएं थीं. नए मुख्यमंत्री के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं-पार्टी के चुनाव-पूर्व वादे पूरे करना, राज्य को आर्थिक विकास की तेज रफ्तार पटरी पर लाना और मई में होने वाले आम चुनाव में राज्य की 17 में से कम से कम आधी सीटें पार्टी की झोली में डालना.
किसी भी मुख्यमंत्री के लिए यह शायद बहुत मुश्किल काम हो. मगर प्रशासनिक अनुभव न होते हुए भी रेवंत ने अच्छी शुरुआत की है. लोकसभा चुनाव उनका पहला बड़ा इम्तिहान होंगे. मंत्रियों को पार्टी समन्वयक बनाकर अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. रेवंत प्रशासन की योजना यह है कि चुनाव से पहले किए गए वादे (छह गारंटियां या '6जी') पूरे करके उनके वोट 'इन्फ्लुएंसर' बनने की उम्मीद की जाए. 28 दिसंबर से 6 जनवरी तक 12,769 ग्राम पंचायतों और 3,623 नगरपालिक वार्डों में चलाए गए प्रजा पालन (जनहितैषी राजकाज) अभियान में पूरा प्रशासन शामिल हुआ और लोगों से 1.26 करोड़ जितनी से बड़ी तादाद में अर्जियां ली गईं. इनमें से 1.06 करोड़ में विभिन्न जनकल्याण योजनाओं के तहत 6जी के फायदों की मांग की गई, जबकि बाकी 20 लाख खाद्य सुरक्षा कार्ड और दूसरी रेवड़ियों से जुड़ी थीं.
प्रजा पालन के जरिए सरकार 'दरवाजे पर राजकाज' को एक कदम आगे ले जाना चाहती है. लोगों की जरूरतों और शिकायतों का समग्र डेटाबेस तैयार होगा, सो अलग. अर्जियों का डेटा जनवरी के अंत तक मिल जाएगा. अयोग्य आवेदकों की जांच और छंटनी का कष्टसाध्य काम 8 फरवरी से शुरू होगा.
Diese Geschichte stammt aus der February 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der February 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"