दिलचस्प पहेली है. ऐसा कैसे है कि जिस भारत के पास दुनिया के कुछ सबसे जानदार रॉकेट विज्ञान और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम हैं, उसके पास देश में डिजाइन की गई विश्वस्तरीय असॉल्ट राइफल नहीं है, जो थल सेना का बुनियादी हथियार है. वजहें कई और मिली-जुली हैं-देसी डिजाइन में लगातार खामियां, भारतीय सेना की ऊहापोह कि उसे आखिरकार किस किस्म का हथियार चाहिए, और हथियार निर्माताओं की तरफ से बेजा मांगें. दुनिया में छोटे हथियारों (जिसमें असॉल्ट राइफलें आती हैं) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारत में होता है. फिलहाल करीब बीस लाख राइफलें इस्तेमाल में हैं. भारतीय सेना और पैरामिलिटरी फोर्स आइएनएसएएस (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम, भारतीय जवानों को दिया जाने वाला मानक निजी हथियार ) या इनसास, एम4ए1 एके-47, कार्बाइन, टी91 असॉल्ट राइफल, सिग सॉर 716 और टवोर सरीखी कई तरह की असॉल्ट राइफलें इस्तेमाल करते हैं. भारत की छोटे हथियारों की फेहरिस्त में बड़ा हिस्सा इनसास का है, जिनका करीब दस लाख की तादाद में इस्तेमाल किया जा रहा है. सशस्त्र बल तीनों सेनाओं के लिए 8,10,000 असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से अकेले सेना 7,60,000 राइफलें काम में लाती है.
Diese Geschichte stammt aus der February 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, मगर विदेशी निवेशक भारत पर अपना बड़ा और दीर्घकालिक दांव लगाने से परहेज कर रहे हैं
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मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राज्य में 'जनता प्रथम' के सिद्धांत वाली शासन प्रणाली स्थापित कर रही. उसने नवीन पटनायक के दौर वाले कथित नौकरशाही दबदबे को समाप्त किया. आसान पहुंच, ओडिया अस्मिता और केंद्रीय मदद के बूते बड़े पैमाने पर शुरू विकास के काम इसमें उसके औजार बन रहे
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अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
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गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.