छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री और इस पद पर बैठने वाले आदिवासी समुदाय के पहले शख्स विष्णु देव साय अपने लिए तय सरकारी आवास में 7 मार्च को पहुंचे. रायपुर की सिविल लाइंस में स्थित यह औपनिवेशिक युग का एक बड़ा-सा बंगला है. पहले यह रायपुर के जिला मजिस्ट्रेट का सरकारी निवास हुआ करता था लेकिन वर्ष 2000 में इसे मुख्यमंत्री निवास घोषित कर दिया गया और तब से इसमें अलग-अलग समय पर तीन मुख्यमंत्री - अजीत जोगी, रमन सिंह और भूपेश बघेल रह चुके हैं. देश में लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही भाजपा आलाकमान की ओर से राज्य सरकार का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपे जाने की वजह से साय के पास आराम से बैठने का ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. साय ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर माओवादियों से लड़ रही महिला पुलिस कर्मियों से मुलाकात करने के लिए 8 मार्च की सुबह दंतेवाड़ा के लिए उड़ान भरी. इसके कुछ घंटे बाद ही वे हेलिकॉप्टर से वापस रायपुर लौट आए और फिर फिल्म 'आर्टिकल 370' देखने के लिए एक स्थानीय सिनेमाघर पहुंच गए. यह फिल्म जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने की कहानी पर आधारित है. एक ओर जहां मुख्यमंत्री साय को ऐसे नियमित कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है, वहीं सभी लोग उत्सुकतापूर्वक इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि वे शासन के लिए किस तरह का रोडमैप अपनाने वाले हैं.
साय के सभी पूर्ववर्तियों की पहचान एक खास नीतिगत पहल के साथ की गई थी. जोगी का कार्यकाल (2000-2003) एक नव गठित राज्य में बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ा था; रमन सिंह (2003-2018) ने इसे जारी रखा और खासकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कल्याणकारी कार्यक्रमों पर जोर दिया. भूपेश बघेल की सरकार (2018-2023) ने ग्रामीण इलाकों पर खासकर जोर दिया - इसके लिए बोनस के जरिए किसानों के हाथों में पैसा देना था. इसी से जुड़ा एक तरीका विवादास्पद गाय गोबर खरीद योजना भी था. साय को मुख्यमंत्री पद संभाले तीन महीने बीत चुके हैं, ऐसे में उन्हें छत्तीसगढ़ के बारे में अपना नजरिया स्पष्ट करना होगा और यह भी बताना होगा कि आने वाले वर्षों में वे राज्य को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं.
Diese Geschichte stammt aus der March 27, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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