• कई छात्रों को फिजिक्स विषय काफी मुश्किल लगता है, लेकिन आप एक 'जलेबी' के उदाहरण से समझाकर इसे जलेबी जितना स्वादिष्ट कैसे बना देते हैं?
देखिए, जलेबी तो स्वादिष्ट है, लेकिन फिजिक्स के केस में इसकी टेढ़ी-मेढ़ी शक्ल से लोगों को डराया जा रहा है. आप सांस लेने से लेकर फोन पकड़ने तक, हर पल फिजिक्स के साथ ही जी रहे हैं, तो फिजिक्स सबको आती है. हमारे स्कूल सिस्टम में जो फिजिक्स पढ़ाई जाती है उसका तरीका ठीक नहीं है. हम असल जिंदगी के फिजिक्स को दरकिनार कर देते हैं, और मुश्किल-मुश्किल सूत्रों का इस्तेमाल करने लगते हैं. सिर्फ एक जलेबी बनाने की प्रक्रिया से बच्चों को उष्मा का संवहन, डूबने-तैरने का सिद्धांत, फर्मेंटेशन-ऑक्सीकरण, दाब परिवर्तन, बॉइलिंग, दहन, जीभ से स्वाद के सूचक, विसरण आदि को समझाया जा सकता है. शिक्षक चाहें तो इसके सहारे विज्ञान के गूढ़ सिद्धांतों को आसान कर सकते हैं.
Diese Geschichte stammt aus der April 17, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.