इस मोर्चे में दरार थोड़ी मुश्किल
India Today Hindi|April 24, 2024
तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाला गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव की जीत को दोहराना चाहता है. एआईएडीएमके और भाजपा का अलग-अलग लड़ना उसके लिए मददगार हो सकता है पर कुछ चौंकाने वाले नजारे भी दिखना मुमकिन 
अमरनाथ के. मेनन
इस मोर्चे में दरार थोड़ी मुश्किल

द्रविड़ मुनेत्र कलगम (डीएमके) 18वीं लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस के बाद क्या फिर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी ? 19 अप्रैल को आम चुनाव के पहले दौर के लिए कमर कस रहे तमिलनाडु में इस सवाल पर जबरदस्त चर्चा छिड़ी है. सत्तारूढ़ डीएमके इस बार अलग चुनौती से दो-चार है. उसकी विरोधी पार्टियों ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कलगम (एआईएडीएमके) और भाजपा ने अलग-अलग गठबंधनों के साथ चुनाव में उतरकर मुकाबले को तिकोना बना दिया है. तमिल राष्ट्रवादी पार्टी नाम तमिलार काच्चि (एनटीके) कागज पर ही सही, मुकाबले को चौतरफा बना रही है. 2021 के विधानसभा चुनाव में एनटीके ने करीब 7 फीसद वोट जुटाए और युवा वोटरों का खासा समर्थन उसे मिला था. उसने कोई सीट तो नहीं जीती पर साबित किया कि करीबी मुकाबले में वह नतीजे पर असर डाल सकती है.

डीएमके और सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) का पलड़ा इस बार भी भारी है और लोकसभा की सभी 39 सीटें जीतने के लिए वह पूरी ताकत झोंक रहा है (2019 में उसने 38 जीती थीं). एसपीए के अन्य घटकों में कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआइ, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) और छोटेछोटे तमिल दल शामिल हैं. इनमें दलित पार्टी विदुतलाई चिरुतैगल काच्चि (वीसीके), मुखर मिजाज के वाइको की मरुमलार्ची डीएमके (एमडीएमके) और पश्चिमी जिलों खासकर कोयंबत्तूर में असर रखने वाली कोंगुनाडु मक्कल देसीय काच्चि (केएमडीके) भी हैं.

Diese Geschichte stammt aus der April 24, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.

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