केवल एक ऐसा मजबूत नेता ही अपनी पार्टी के भीतर प्रतिद्वंद्वियों के बीच मतभेदों को पाट सकता है, जिसका रौब-दाब हो और जिसका आदर भी किया जाता हो. यह 10 मई को पश्चिम बंगाल की बैरकपुर लोकसभा सीट के नैहाटी विधानसभा क्षेत्र में साफ नजर आया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रचार अभियान की अगुआई कर रहे वाहन में बैरकपुर के उम्मीदवार अर्जुन सिंह और पार्टी की पश्चिम बंगाल महिला मोर्चे की प्रमुख फाल्गुनी पात्रा भी मौजूद थीं. दरअसल, पात्रा बैरकपुर की रहने वाली हैं और सिंह को पार्टी की लोकसभा उम्मीदवारी मिलने से पहले वे अपनी उम्मीदवारी जता रही थीं. सिंह ने 2019 में भाजपा के लिए यह लोकसभा सीट जीती थी, मगर फिर वे 2022 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तृणमूल के उम्मीदवारों की सूची से उन्हें हटा दिए जाने के बाद वे भगवा खेमे में लौट आए और उन्हें भाजपा से टिकट भी मिल गया. जाहिर है, यह पात्रा को पसंद नहीं आया. मगर जिस शख्स दोनों को जोड़ते हुए एकीकृत मोर्चा तैयार करने के लिए प्रेरित किया, वे उसी कार में सवार थे. वे थे नेता विपक्ष और भाजपा के बड़े चेहरे सुवेंदु अधिकारी. उन्होंने पात्रा को भीड़ के बीच देखा और फिर उन्हें गाड़ी में चढ़ने के लिए कहा.
Diese Geschichte stammt aus der May 29, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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