जुलाई का महीना जम्मू में भारतीय सुरक्षा बलों के लिए काफी मुश्किल भरा रहा, जिसमें पहले तीन हफ्तों में ही 12 जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ी. करीब 15 वर्ष पहले 'आतंकवाद मुक्त' घोषित किए जा चुके इस क्षेत्र में हालिया आतंकवादी हमलों ने भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान को माकूल जवाब देने पर बाध्य कर दिया है. इस साल जम्मू में हताहत जवानों की संख्या 2023 की तुलना में दोगुनी हो चुकी है. सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इस सबके पीछे पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) का हाथ होने का संदेह है. पुंछ और राजौरी के अलावा कठुआ, उधमपुर और डोडा में भी हमले हुए हैं. सबसे ताजा हमला 15 जुलाई को डोडा की देस्सा पहाड़ियों में हुआ, जिसमें एक कैप्टन सहित चार सैनिक शहीद हो गए.
पहाड़ी जिला डोडा सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां पिछले दो माह में आधा दर्जन आतंकी हमले हुए हैं. यह इलाका सेना की डेल्टा फोर्स की कमान में आता है, जहां 14,500 फुट तक ऊंचे पहाड़ हैं. इसका 1,400 वर्ग किलोमीटर इलाका बड़े-बड़े पेड़ों वाले घने जंगलों से ढका है, जहां छिपना आतंकियों के लिए आसान हो जाता है. इलाके की हिंदू-मुस्लिम मिश्रित आबादी अभी तक बर्बर अतीत से उबर नहीं पाई है. आतंकवाद चरम पर होने (1996-2006) के दौरान यहां के गांवों से लोग जम्मू या अन्य सुरक्षित शहरों की तरफ पलायन कर गए थे. क्षेत्र में नागरिकों के नरसंहार की दर्जनों घटनाएं हुई थीं, जिनमें अधिकांश हिंदू निशाना बने थे. तीन स्थानीय सरपंचों सहित कई लोगों इंडिया टुडे से बातचीत में माना कि फिर से दहशत की दस्तक ने उनका जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. भलेसा गांव के एक सरपंच कहते हैं, "पहले हम रात 10 बजे तक बाहर रहते थे. लेकिन अब 7 बजे तक घर लौट आते हैं और बत्तियां भी बुझा देते हैं. "
Diese Geschichte stammt aus der August 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 14, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई